खिले-खिले फूल ….. नींद में कोई चल के देखे काले…
खिले-खिले फूल …..
नींद में कोई चल के देखे
काले नोट बदल के देखे
एक नटनी रस्सी पे चलती
यूँ भी कोई सम्हल के देखे
कोई सूरत नजर न आती
छुपे चेहरे असल के देखे
जुम्मन मिया की बोलती बंद
अलगु खौफ़ अजल के देखे
हर आहट जो नोट छुपाते
गायब नखरे अकल के देखे
इच्छाओं को मारने निकले
खून-खराबे मक़तल के देखे
एक गरीब की आस था पैसा
अमीर फंसे दलदल के देखे
जाने क्या कल अंजाम हो साथी
खिले-खिले फूल कमल के देखे
सुशील यादव