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8 Jun 2017 · 1 min read

खामोश शहर

खामोश शहर में गूँजती एक आवाज कम नहीं,
अंधेरे में जले,वह एक चिराग कम नहीं,
स्वार्थ में बदलती #विश्वास को खोती हक की आवाज,
गीत गाता एक फकीर भी कम नहीं,
आजाद हुए और बैठ रहे गद्दी पर,
हिन्द सेना के बहे लहू की क्या समझोगे तुम कीमत ।।

Language: Hindi
304 Views
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