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23 Jul 2017 · 1 min read

खव्वाइश‌‌‌‌‌

कर्जदार हूँ तेरी दुकान का
चलना हैं कुछ कमाने मकान का
न शरीर में वस्त्र का सहयोग
ना खाने को निवाला
कैसी दशा हैं
अब तू बता उपरवाला।
तेरी नौकरी मे हैं खाली जगह
जहाँ सुख -चैन मिलता हो वहाँ
सांसाारिक जीवन के स्तर पर ना मिला संतुष्ट
अब नफरत भी कहता है मुझे दुष्ट
गलती हुई मानाा जीवन है प्यार
दोस्ती मौज मस्ती है तो बस है प्यार
करना भी इनके लिए
जाना भी था इनके लिए
जुदाई भी हमारी हँसी बने
यही खव्वाइश हैं हमारी।
-ऋषि के.सी.(कृति)

Language: Hindi
1 Like · 294 Views
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