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31 Jul 2017 · 1 min read

क्योंकि मरना तुम्हारी हद हैं!

आँखे फाड़
लक्ष्य को ताड़,
जिद पर अड़
दुःखों से लड़,
काटों पर चलना तुम्हारी ज़द हैं
क्योंकि मरना तुम्हारी हद है !

सुखों को छोड़
नाता दुखों से जोड़,
संघर्षो में ख़ुद को तपने दे
दिखा कुछ चिंगारी,
और धुंआ सा निकलने दे
अब आंसू नही, पसीना तुम्हारी नद है
क्योंकि मरना तुम्हारी हद है!

दुश्मनों की परवाह छोड़
खुद को लोहे से तपा
सरिये सा मरोड़
ईर्ष्या की छाती पर पैर
प्रेम की कर होड़
रुकता नही कभी , तुम्हारा आसमा सा कद है
क्योंकि मरना तुम्हारी हद है!

-© नीरज चौहान

Language: Hindi
607 Views
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