Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2016 · 1 min read

कौन अपने- कौन गैर

दिल में याद बना लेते है
गैर भी…
अपने भी…
कुछ चुभते है
कुछ यादगार बन जाते है
अपने भी-गैर भी
पहचान न पाये अपनों को भी
गैरो को भी
अपनों में गैर मिले,
गैरो में कमाल के अपने मिले
दोनों के अर्थ के मायने बदल दिये
अपनों के
गैरो के
अपनों को अपना कहे या गैरो को अपना
अब तो अपना भी लगता खुली आँखों का
सपना….

^^^^दिनेश शर्मा^^^^

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा बचपन
मेरा बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वृद्धाश्रम में दौर, आखिरी किसको भाता (कुंडलिया)*
वृद्धाश्रम में दौर, आखिरी किसको भाता (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
★गहने ★
★गहने ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
Anis Shah
Never settle for less than you deserve.
Never settle for less than you deserve.
पूर्वार्थ
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
Mr.Aksharjeet
ऐंचकताने    ऐंचकताने
ऐंचकताने ऐंचकताने
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
shabina. Naaz
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
Dr Shweta sood
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
कवि दीपक बवेजा
अपनी मर्ज़ी
अपनी मर्ज़ी
Dr fauzia Naseem shad
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तेरे इंतज़ार में
तेरे इंतज़ार में
Surinder blackpen
"बिना बहर और वज़न की
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-333💐
💐प्रेम कौतुक-333💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
कवि रमेशराज
2663.*पूर्णिका*
2663.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शिखर के शीर्ष पर
शिखर के शीर्ष पर
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
Deepesh सहल
"आँगन की तुलसी"
Ekta chitrangini
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
Bhupendra Rawat
"कलम और तलवार"
Dr. Kishan tandon kranti
नजरअंदाज करने के
नजरअंदाज करने के
Dr Manju Saini
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
Amulyaa Ratan
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
Rituraj shivem verma
कितना लिखता जाऊँ ?
कितना लिखता जाऊँ ?
The_dk_poetry
Loading...