Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2017 · 2 min read

कोटा का विलाप

कोटा का विलाप

जब स्व के अतृप्त अधूरे
सपनों को तुम्हारी
माँ की कोख में रोपा था,
तब कहीं जाकर के
तुम्हारा निश्छल सुकोमल
मुखड़ा देखा था.

परवरिश के धागों में
गुंथी स्वर व्यंजन की माला
ढाई वर्ष में ही तुम्हे पहनाई,
जिस उम्र में तुलसी के राम और
सूर के श्याम घुटनों के बल
नाप नहीं पाते थे पूरी अँगनाई.

स्वयं को जिन्दा रखने की
इंसानी प्रवृत्ति सदियों से रही है,
हजारों संतानों के शरीर में
बाप की आत्मा पुरातन से पल रही है.

परशुराम से लेकर
आमिर के दंगल तक,
सन्तानें ढोती हैं
थोपा हुआ भविष्य
आज की सभ्यता से
आदिम जंगल तक.

प्रिय ! मैंने आई आई टी और
पी एम् टी के शामियाने से
तुम्हारा सारा आकाश ढक दिया है
तुम्हारी आकाशगंगा में
गणित, भौतिकी, जीव और रसायन है,
तुम क्या जानो कि इससे परे भी
सप्तर्षि, ध्रुव और पुच्छल तारों का भी
कोई वातायन है.

तुम्हारा बचपन, खेलकूद, शरारतें सभी को
हर्फ़ दर हर्फ़ किताबों में दफ़न कर दिया,
सिर्फ यही नहीं, अपनी सभी ख्वाहिशों को
लोन, एडवांस, उधार से भर लिया.

जवानी में दाढ़ी-मूँछे, कद-काठी
और खुराक बढती है
लेकिन तुम्हारा बढ़ा
बोर्ड और चश्मे का नंबर,
कक्षा प्रथम से अब तक निरंतर.

तुम्हारी क्षमताओं,
इच्छाओं को सुने, परखे बिना
तुम्हारे मन मस्तिष्क के श्यामपट पे
मैंने जो भी कथित सपनों को उकेरा है,
प्रिय संतति ! तुम्हारे मन की बात नहीं
वह सबकुछ मेरा है, मेरा है, मेरा है.

तुम्हारा सुकोमल, सम्बलहीन मन
नहीं सह पाया हारने के दबाव को,
जूझते पिता के अभाव को.
तुम नितांत एकाकी, टूटे, बिखर गए,
और, हारने के बाद वाली
जीत से मुकर गए .

तुम कटआफ और नंबर की दौड़ में
कोल्हू के बैल हो गए,
किन्तु दुनियादारी की परीक्षा में
प्रिय तुम फेल हो गए.

वाकई, नहीं दे पाया मैं तुम्हें सबक
भय, हताशा, निराशा से उबरने का,
धैर्य, साहस, जोखिम, आशा से पूरित
जीवन को सँवरने का.

हे कोटा की आत्महत्याओं !
सुनो, मैं ही तुम्हारा गुनहगार हूँ,
क्योंकि मैं भी पिता हूँ और
परकाया प्रवेश की
मानसिकता का शिकार हूँ.

प्रदीप तिवारी ‘धवल’
Raghvendu1288@gmail.com
(कोटा राजस्थान में कोचिंग के लिए जाना जाता है )

Language: Hindi
4204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
"संविधान"
Slok maurya "umang"
अच्छी बात है
अच्छी बात है
Ashwani Kumar Jaiswal
...........,,
...........,,
शेखर सिंह
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
बैसाखी....
बैसाखी....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
भ्रष्टाचार और सरकार
भ्रष्टाचार और सरकार
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
अपनों की ठांव .....
अपनों की ठांव .....
Awadhesh Kumar Singh
प्रणय 8
प्रणय 8
Ankita Patel
अपने साथ तो सब अपना है
अपने साथ तो सब अपना है
Dheerja Sharma
स्वयं पर विश्वास
स्वयं पर विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
क्या है नारी?
क्या है नारी?
Manu Vashistha
■ तेवरी-
■ तेवरी-
*Author प्रणय प्रभात*
नारी शिक्षा से कांपता धर्म
नारी शिक्षा से कांपता धर्म
Shekhar Chandra Mitra
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
The_dk_poetry
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"साड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार या प्रतिशोध में
प्यार या प्रतिशोध में
Keshav kishor Kumar
बढ़े चलो ऐ नौजवान
बढ़े चलो ऐ नौजवान
नेताम आर सी
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
रंग पंचमी
रंग पंचमी
जगदीश लववंशी
दिन की शुरुआत
दिन की शुरुआत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
श्याम सिंह बिष्ट
झील के ठहरे पानी में,
झील के ठहरे पानी में,
Satish Srijan
फिदरत
फिदरत
Swami Ganganiya
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
Kshma Urmila
ठुकरा दिया है 'कल' ने आज मुझको
ठुकरा दिया है 'कल' ने आज मुझको
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...