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11 Aug 2016 · 1 min read

कोई तो आज पूछो आकर ये मालियों से

कोई तो आज पूछो आकर ये मालियों से
कैसे बचायें उपवन अपना वो आँधियों से

मजबूत इसलिए ये रेशम की डोरियाँ हैं
इनका अटूट बंधन रहता है राखियों से

डर कर न मुश्किलों से यूँ हार मानना तुम
लेना सबक जरा तो इन नन्हीं चीटियों से

चढ़ सा नशा गया यूँ इन काफियों का हम पर
लेकर रदीफ़ दिल में फिरते हैं प्रेमियों से

ये सूर्य चाँद तारे भी खेलते गगन में
छिपने कभी निकलने का खेल बादलों से

मासूम बच्चियों को क्यों मारते हो बोलो
जीवन है ‘अर्चना’ जब हर घर में बेटियों से
डॉ अर्चना गुप्ता

3 Comments · 376 Views
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