Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2016 · 2 min read

कैसे सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है?

जिस देश का कानून खड़ा है जैसे हो अंधा
और पुलिस थानो में हो जैसे पंडो का धंधा
मुठभेड़ो के नाम पर हत्या होती है निर्दोषों की
चौराहे पर चीरहरण आदत है बाहुबलियों की
जहां वर्दीयो की बाहों में अबला की चीखें गुम हैं
पुरूषोत्तम क देश में मर्यादा तो बस एक भ्रम है
गांधी क सपनो का भारत,कातिल है,हत्यारा है
कैसे सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है
गर्मी सरदी बरसातो में निर्धन मर जाये तो क्या
आमो की गुठली के आटें की रोटी खाये तो क्या
आदिवासी भूखे नंगे पेड़ों की कोपल खाये
पगडंडी पर पैदा होकर ,फुटपाथों पर मर जाये
मैंने झोपड़ी के आंगन में भूख बिलखती देखी है
दो रोटी के खातिर इज्जत बिकते देखी है
भूखो से जो भीख मांग ले भारत वो बंजारा है
कैसे सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है
खूनी कौमी दंगों के जंगल है जिसके आँगन में
जल जाते हैं लोग घर सहित और घर ढह जाते सावन में
इसके पूजाघर में शामिल होड मची हथियारों की
ईटे रोया करती जिसके मंदिर मस्जिद गुरूद्वारो की
इंसानो के सौदे करते हैं कुर्सी वाले और धनवान
सौदो की जो बलि चढ गये वो अब भी अनजान
राष्ट्रभक्तो की भूमि पर ये खालिस्तानी नारा है
कैसे सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है
भारत माँ सिसके चिल्लाये “मेरा बेटा कौन है”
“मैं हू माँ” की गूंज उठे पर भारत क्यूँ मौन है
खून गरम क्या होगा इनका ये लाशो का श्मशान है माँ
मातृभूमि का नाम पे भी निजस्वार्थ यहां की मांग है माँ
झंडे के कपड़े से थैला सिलवाता देश हमारा है
भला किसी को क्या मतलब पर अपना मतलब प्यारा है
जाति पंथ के नाम पे बस भारत एक बँटवारा है
फिर कैसे सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है?

Language: Hindi
1156 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अकेले आए हैं ,
अकेले आए हैं ,
Shutisha Rajput
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
Er.Navaneet R Shandily
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नम आँखे
नम आँखे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गाथा हिन्दी की
गाथा हिन्दी की
Tarun Singh Pawar
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
AMRESH KUMAR VERMA
एक ज्योति प्रेम की...
एक ज्योति प्रेम की...
Sushmita Singh
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
■ अनावश्यक चेष्टा 👍👍
■ अनावश्यक चेष्टा 👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
*देहातों में हैं सजग, मतदाता भरपूर (कुंडलिया)*
*देहातों में हैं सजग, मतदाता भरपूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मौत की हक़ीक़त है
मौत की हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
दोयम दर्जे के लोग
दोयम दर्जे के लोग
Sanjay ' शून्य'
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
Neelam Sharma
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
यादों को याद करें कितना ?
यादों को याद करें कितना ?
The_dk_poetry
महिला दिवस
महिला दिवस
Dr.Pratibha Prakash
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
3092.*पूर्णिका*
3092.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
'व्यथित मानवता'
'व्यथित मानवता'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
Dr Archana Gupta
सीख का बीज
सीख का बीज
Sangeeta Beniwal
*चांद नहीं मेरा महबूब*
*चांद नहीं मेरा महबूब*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
रोशनी की भीख
रोशनी की भीख
Shekhar Chandra Mitra
मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
घर बन रहा है
घर बन रहा है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
★क़त्ल ★
★क़त्ल ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Loading...