” ————————————— कैसे दिल बहलाएं ” !!
कठिन डगर है पग में छाले , अब तो चला न जाए !
हमराही ने बांह छोड़ दी, व्यथा सही न जाए !!
सपने टूटे , ऐसे बिखरे , आंखें ठगी ठगी सी !
अपनों ही ने हमको लूटा , कैसे दिल बहलाएं !!
ग्रहण लगा है अगर चांद को , नज़रें सभी चुराये !
समय अछूत बना दे हमको , डुबकी कहाँ लगाएं !!
पावन रिश्ता मन से जोड़ा , गाँठे रेशम रेशम !
हाथ से छूटा , एसा टूटा , पकड़ नहीं हम पाये !!
झूठी कसमें , झूठे वादे , आखिर दिल टूटा है !
आंख मूंद कर चलने वाले , छलना ही बस पाएं !!
जब लिए तूलिका चित्र उकेरे , कैनवास खाली था !
झूंठी तस्वीरों को बोलो , अब हम कहाँ सजाएं !!
दिन है चुप चुप , रातें चुप सी , दामन खामोशी का !
समय ने करवट एसी बदली , चुप से काम चलाएं !!
बृज व्यास