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19 May 2017 · 1 min read

कुदरत से खिलवाड

जीवन मे अपने कभी, नही लगाया झाड !
जंगल के जंगल मगर,हमने दिए उजाड !!

नदिया सँकरी हो गई, काटे कई पहाड !
कुदरत से होने लगा,भांति-भांति खिलवाड !!

कुदरत पर जब जब गिरी,इन्सानो की गाज !
बदला मौसम ने स्वयं,तबतब सहज मिजाज !!

काट रहे है पेड नित,वो जो मनुज तमाम!
वो ही देने लग गये, बारिश को इल्जाम!!

बादल बैरी हो गये, तब से अधिक रमेश!
कुदरत के जब से सभी,लगे कतरने केश!!

काटे वृक्ष तमाम जब,हुआ नही अहसास !
कड़ी धूप मेे छाँव की, करे आज तू आस !!

जंगल के जंगल दिए, हमने अगर दबोच !
बारिश होगी किस तरह ,एक बार तो सोच !!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 360 Views
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