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14 Feb 2017 · 1 min read

कुदरत का करिश्मा है

कुदरत का करिश्मा है
तो सूरज रौशनी बिखेर देता है
क्या आप के अंदर वो लौ नहीं
है जो जमाने में लौ बिखेर सके ??

यह धरती कितनी विशाल है
जो सेहन शक्ति रखती है बेमिसाल
क्या तेरा हिरदय इतना कमजोर है
न माफ़ कर से गुनाह किसी के ??

वो ज्वाला बनकर आग आज तपिस
में अपनी सकूं दे रही है
क्या तेरे अंदर वो आग नहीं जो
काम आ सके अपने वतन के ??

गगन है ऐसा उस खुदा का बनाया
कि उस का आसरा मागते हैं सब
क्या तेरे जेहन में नहीं आया की
तून बन जा सहारा किसी का ??

पानी ने प्यास् बुझाई सारी दुनिया की
न है उस का कोई रंग रूप
तून क्यों बन ठन कर अकड़ कर दिखाता
नहीं अपने प्रेम का रूप ??

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
381 Views
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