Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2016 · 3 min read

कुण्डलिया कैसे लिखें…

कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे यूँ भी कह सकते हैं कि कुंडलिया के पहले दो चरण दोहा तथा शेष चार चरण रोला से बने होते है।

दोहा के प्रथम एवं तृतीय चरण में १३-१३ मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं।

रोला के प्रत्येक चरण में २४ मात्राएँ होती है। यति ११वीं मात्रा तथा पादान्त पर होती है। कुंडलिया छंद में दूसरे चरण का उत्तरार्ध तीसरे चरण का पूर्वार्ध होता है।

कुंडलिया छंद का प्रारंभ जिस शब्द या शब्द-समूहसे होता है, छंद का अंत भी उसी शब्द या शब्द-समूह से होता है। रोला में ११ वी मात्रा लघुतथा उससे ठीक पहले गुरु होना आवश्यक है।

कुंडलिया छंद के रोला के अंत में दो गुरु, चार लघु, एक गुरु दो लघु अथवा दो लघु एक गुरु आना आवश्यक है।

कुण्डलिया छंद के उदाहरण-

सावन बरसा जोर से, प्रमुदित हुआ किसान ।
लगा रोपने खेत में, आशाओं के धान ।।
आशाओं के धान, मधुर स्वर कोयल बोले ।
लिए प्रेम-सन्देश, मेघ सावन के डोले ।
‘ठकुरेला’ कविराय, लगा सबको मनभावन‌ ।
मन में भरे उमंग, झूमता गाता सावन ।।

-×××-

हँसना सेहत के लिए, अति हितकारी मीत ।
कभी न करें मुकाबला, मधु, मेवा, नवनीत ॥
मधु, मेवा, नवनीत, दूध, दधि, कुछ भी खायेँ ।
अवसर हो उपयुक्त, साथियो हँसे – हँसायें ।
‘ठकुरेला’ कविराय, पास हँसमुख के बसना ।
रखो समय का ध्यान, कभी असमय मत हँसना ॥

-×××-

खुद ही बोता आदमी,सुख या दुख के बीज ।
मान और अपमान का, लटकाता ताबीज ।।
लटकाता ताबीज,बहुत कुछ अपने कर में ।
स्वर्ग,नर्क निर्माण,स्वयं कर लेता घर में ।
‘ठकुरेला’ कविराय,न सब कुछ यूँ ही होता ।
बोता स्वयं बबूल,आम भी खुद ही बोता ।।

मात्राओं की गिनती कैसे करें-

काव्य में छंद का अपना महत्व है। छंद रचना के लिए मात्राओं को समझना एवं मात्राओं कि गिनती करने का ज्ञान होना आवश्यक है। यह सर्वविदित है कि वर्णों को स्वर एवं व्यंजन में विभक्त किया गया है। स्वरों की मात्राओं की गिनती करने का नियम निम्नवत है-

अ, इ, उ की मात्राएँ लघु (।) मानी गयी हैं।

आ, ई, ऊ, ए, ऐ ओ और औ की मात्राएँ दीर्घ (S) मानी गयी है।

क से लेकर ज्ञ तक व्यंजनों को लघु मानते हुए इनकी मात्रा एक (।) मानी गयी है। इ एवं उ की मात्रा लगने पर भी इनकी मात्रा लघु (1) ही रहती है, परन्तु इन व्यंजनों पर आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ लगने पर इनकी मात्रा दीर्घ (S) हो जाती है।

अनुस्वार (.) तथा स्वरहीन व्यंजन अर्थात आधे व्यंजन की आधी मात्रा मानी जाती है।सामान्यतः आधी मात्रा की गणना नहीं की जाती परन्तु यदि अनुस्वार (।) अ, इ, उ अथवा किसी व्यंजन के ऊपर प्रयोग किया जाता है तो मात्राओं की गिनती करते समय दीर्घ मात्रा मानी जाती है किन्तु स्वरों की मात्रा का प्रयोग होने पर अनुस्वार (.) की मात्रा की कोई गिनती नहीं की जाती।

स्वरहीन व्यंजन से पूर्व लघु स्वर या लघुमात्रिक व्यंजन का प्रयोग होने पर स्वरहीन व्यंजन से पूर्ववर्ती अक्षर की दो मात्राएँ गिनी जाती है। उदाहरण के लिए अंश, हंस, वंश, कंस में अं हं, वं, कं सभी की दो मात्राए गिनी जायेंगी। अच्छा, रम्भा, कुत्ता, दिल्ली इत्यादि की मात्राओं की गिनती करते समय अ, र, क तथा दि की दो मात्राएँ गिनी जाएँगी, किसी भी स्तिथि में च्छा, म्भा, त्ता और ल्ली की तीन मात्राये नहीं गिनी जाएँगी। इसी प्रकार त्याग, म्लान, प्राण आदि शब्दों में त्या, म्ला, प्रा में स्वरहीन व्यंजन होने के कारण इनकी मात्राएँ दो ही मानी जायेंगी

अनुनासिक की मात्रा की कोई गिनती नहीं की जाती.जैसे-
हँस, विहँस, हँसना, आँख, पाँखी, चाँदी आदि शब्दों में अनुनासिक का प्रयोग होने के कारण इनकी कोई
मात्रा नहीं मानी जाती।

अनुनासिक के लिए सामान्यतः चन्द्र -बिंदु का प्रयोग किया जाता है.जैसे – साँस, किन्तु ऊपर की मात्रा वाले शब्दों में केवल बिंदु का प्रयोग किया जाता है, जिसे भ्रमवश कई पाठक अनुस्वार समझ लेते है.जैसे- पिंजरा, नींद, तोंद आदि शब्दों में अनुस्वार ( . ) नहीं बल्कि अनुनासिक का प्रयोग है।

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Category: Sahitya Kaksha
Language: Hindi
Tag: लेख
20 Likes · 8 Comments · 1538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अकेले आए हैं ,
अकेले आए हैं ,
Shutisha Rajput
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
Er.Navaneet R Shandily
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नम आँखे
नम आँखे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गाथा हिन्दी की
गाथा हिन्दी की
Tarun Singh Pawar
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
AMRESH KUMAR VERMA
एक ज्योति प्रेम की...
एक ज्योति प्रेम की...
Sushmita Singh
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
■ अनावश्यक चेष्टा 👍👍
■ अनावश्यक चेष्टा 👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
*देहातों में हैं सजग, मतदाता भरपूर (कुंडलिया)*
*देहातों में हैं सजग, मतदाता भरपूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मौत की हक़ीक़त है
मौत की हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
दोयम दर्जे के लोग
दोयम दर्जे के लोग
Sanjay ' शून्य'
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
Neelam Sharma
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
यादों को याद करें कितना ?
यादों को याद करें कितना ?
The_dk_poetry
महिला दिवस
महिला दिवस
Dr.Pratibha Prakash
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
3092.*पूर्णिका*
3092.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
'व्यथित मानवता'
'व्यथित मानवता'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
न तोड़ दिल ये हमारा सहा न जाएगा
Dr Archana Gupta
सीख का बीज
सीख का बीज
Sangeeta Beniwal
*चांद नहीं मेरा महबूब*
*चांद नहीं मेरा महबूब*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
रोशनी की भीख
रोशनी की भीख
Shekhar Chandra Mitra
मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
घर बन रहा है
घर बन रहा है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
★क़त्ल ★
★क़त्ल ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Loading...