Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2016 · 1 min read

कुछ दोहे

बिन सोचे समझे नहीं , करना भारत बंद
अच्छे दिन अब दूर हैं , बस कदमों पर चंद

दाल गलेगी अब नहीं,सुनो खोल कर कान
काला धन अब देश में, कुछ दिन का मेहमान

भौतिक सुख तो बढ़ गए , दुखी मगर सब लोग
हँसना भी देखो यहाँ , सीखें करके योग

लगता है अब देश के , सुधरेंगे हालात
कलयुग में होने लगी, सतयुग जैसी बात

मुस्कायेगा बस तभी, अपना हिंदुस्तान
हो जाएंगे एक जब, गीता और कुरान

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
697 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
Dushyant Kumar
ऐसा कहा जाता है कि
ऐसा कहा जाता है कि
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
गुरु-पूर्णिमा पर...!!
गुरु-पूर्णिमा पर...!!
Kanchan Khanna
माय
माय
Acharya Rama Nand Mandal
"You can still be the person you want to be, my love. Mistak
पूर्वार्थ
नसीब में था अकेलापन,
नसीब में था अकेलापन,
Umender kumar
तू बेखबर इतना भी ना हो
तू बेखबर इतना भी ना हो
gurudeenverma198
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
AJAY AMITABH SUMAN
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
*भारतीय क्रिकेटरों का जोश*
*भारतीय क्रिकेटरों का जोश*
Harminder Kaur
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
जिन्दगी है की अब सम्हाली ही नहीं जाती है ।
जिन्दगी है की अब सम्हाली ही नहीं जाती है ।
Buddha Prakash
तुम्हारे महबूब के नाजुक ह्रदय की तड़पती नसों की कसम।
तुम्हारे महबूब के नाजुक ह्रदय की तड़पती नसों की कसम।
★ IPS KAMAL THAKUR ★
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
अड़बड़ मिठाथे
अड़बड़ मिठाथे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
दुष्यन्त 'बाबा'
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
2301.पूर्णिका
2301.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बताइए
बताइए
Dr. Kishan tandon kranti
◆ आप भी सोचिए।
◆ आप भी सोचिए।
*Author प्रणय प्रभात*
स्त्री श्रृंगार
स्त्री श्रृंगार
विजय कुमार अग्रवाल
काश! तुम हम और हम हों जाते तेरे !
काश! तुम हम और हम हों जाते तेरे !
The_dk_poetry
💐अज्ञात के प्रति-70💐
💐अज्ञात के प्रति-70💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
मौनता  विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
मौनता विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
उसने आंखों में
उसने आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
Loading...