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26 May 2016 · 1 min read

कुंडलियां छन्द

कारे बदरा छा गये, छम छम बरसे बूँद
राधा देखे श्याम को , अपनी आँखे मूँद
अपनी आँखे मूँद , भरे वह ठंडी आहें
कलियाँ बनती फूल , सजी हैं मन की राहें
देखा रूप अनूप , निहारे मोहन प्यारे
गये ह्रदय में डूब , गरजते बदरा कारे

पुष्प लता शर्मा

3 Likes · 3 Comments · 553 Views
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