Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2016 · 1 min read

किस्से पुराने याद आये है।

आज किस्से फिर पुराने कुछ याद आये है,
कुछ तज़ुर्बे है जो फिर लिखाये गए हैं

घर की दीवारों को शीशे में बदला क्या मैंने,
हर एक हाथ से ही पतथर उठाये गए हैं।

हकीकत तो वही थी पर दिल ने ना मानी,
झूठ के पैवंद यहाँ सिलवाये गए हैं।

समझ सकते तो नज़रो से ही समझ जाते,
क्यों ये ज़ज़्बात डायरी में लिखाये गए हैं।

रखा है संभाले वो कागज़ आज तलक,
जिसपे दस्तखत ज़मानत के एवज़ कराये गए हैं।

खतायें तो दोनों तरफ बराबर ही रही थी,
फिर क्यों हर बार हम ही समझाये गए हैं।

तमन्नाओ की कब्र तो पुरानी ही थी,
कुछ नए ख़्वाब भी इसने दफनाए गए हैं

किसी को भी न छोड़ा हाय किस्मत तूने,
तेरे इशारे पर सारे ही नचाये गए हैं…।

346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कविता
कविता
Vandana Namdev
कितनी हीं बार
कितनी हीं बार
Shweta Soni
विश्वास
विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
चोट शब्दों की ना सही जाए
चोट शब्दों की ना सही जाए
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे चाहिए एक दिल
मुझे चाहिए एक दिल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
उनको देखा तो हुआ,
उनको देखा तो हुआ,
sushil sarna
"ग से गमला"
Dr. Kishan tandon kranti
2968.*पूर्णिका*
2968.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
surenderpal vaidya
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
हम भी सोचते हैं अपनी लेखनी को कोई आयाम दे दें
DrLakshman Jha Parimal
💐अज्ञात के प्रति-106💐
💐अज्ञात के प्रति-106💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
Ms.Ankit Halke jha
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
श्रेष्ठता
श्रेष्ठता
Paras Nath Jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रदीप माहिर
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
आज
आज
Shyam Sundar Subramanian
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
" नाराज़गी " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
देह धरे का दण्ड यह,
देह धरे का दण्ड यह,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
इस दुनियां में अलग अलग लोगों का बसेरा है,
इस दुनियां में अलग अलग लोगों का बसेरा है,
Mansi Tripathi
पुत्र एवं जननी
पुत्र एवं जननी
रिपुदमन झा "पिनाकी"
आवो पधारो घर मेरे गणपति
आवो पधारो घर मेरे गणपति
gurudeenverma198
क्या बोलूं
क्या बोलूं
Dr.Priya Soni Khare
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
Loading...