Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2017 · 3 min read

किस्सा–द्रौपदी स्वंयवर अनुक्रमांक–04(दौड़)

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–द्रौपदी स्वंयवर

अनुक्रमांक–04(दौड़)

दौड़–

वीर कर्ण तेरी लई शरण मैं लग्या डरण तूं प्रण निभा दे यारी का,
बेटी का बाप न्यूं कहै आप संताप ताप को दियो मिटा,
महिपाल के कहुं हाल होज्या कमाल कुछ करिये या।

मित्र बणके धोखा दे दे उस माणस की यारी क्या,
हकीम आवै दवा ना पावै उसको कहो पंसारी क्या,
साधु हो ना काया साधी उसनै आत्मा मारी क्या,
जिनका माळ हड़ै पटवारी उनकी नम्बरदारी क्या,
टका कमावै वो ऐ खर्च दे हो सच्चा घरबारी क्या,
जिनकै घर मै चलै बीर की हो उसकी सरदारी क्या,

कितणा ए घर नै लीपो घर सजता कोन्या नार बिना,
गीता और भागवत पढ़ना गाणा ना होशियार बिना,
वो दुर्योधन कहण लाग्या भाई काम चलै ना यार बिना,

तुं जाणै और मैं जाणु या जाणै प्रजा सारी,
बाळकपण की म्हारी तेरी देख कर्ण सै यारी,
आज वक्त पै काम काढ़ दे मुश्किल हो री भारी,
जिंदगी ताबै गुण ना भूलुं सच्चा सुत गंधारी का,
हमे भरोशा पड़ता है कर्ण वीर बलकारी का,
वो दुर्योधन जब कहै कर्ण तुं प्रण निभा दे यारी का,

इतणा कहण पूगा दे भाई क्यूं राखी सै देर लगा,
मीन तार कैं तळै गेर दे आगै हो सो देखी जा,
आगै फेर के करणा भाई वो भी तुमको देऊं बता,

दुर्योधन जब कहै करण तैं तूं खींच धनुष की डोरी नै,
देख लाल की किमत का बेरा हो सै जोहरी नै,
मछली नै तूं तार लिये मैं ब्याह ल्यूंगा छोरी नै,

दुर्योधन की सुणकैं वाणी कानी देख्या करै निंगाह,
रै भाई तूं के कहरया तनै बात की मालम ना,
घुंडी टूट गई जामै की बल काया मै नहीं समा,

मैं तेरै वास्तै प्राण त्याग दयुं,
राज पाट कै लगा आग दयुं,
परस्पर कर विद्या का भाग दयुं,
भाई तुमको रहया बता,

देखिये तमाशा रासा पासा पड़ै कर्म का आ,
देख मेरा लटका झटका फटका खटका देऊं परै हटा,
वो कर्णवीर खड़या होया था धनुष बाण कै धोरै जा,
परशुराम का स्मरण करकै लिन्हा अपना गुरु मना,
भाल चढ़ावण लाग्या था सब राजा बैठे करैं निंगाह,
मिन्टा के म्हां दई चाळीसों भाल चढ़ा,
सारे राजा करें बड़ाई कर्णवीर नै रहे सराह,

धन धन हैं तेरे मात पिता जिनके घर मैं जन्म लिया,
धन्य धन्य है आचार्य तुम्हारा जिसनै विद्या दई पढ़ा,
विद्या मै हो सूरा पूरा आग जहुरा देगा ला,

सोळह दिन तैं शोक पड़या था देखो नै नगरी के म्हा,
बाजे बजण लगे सभा मै भारी होया उमंग रंग चाव,
बाजों की जब ध्वनि सुणी देखो काम बणै था क्या,
सुन्दर नारी प्यारी सारी बैठ अटारी करैं निंगाह,
घुंघट का पट झुरमट झटपट चटपट करकैं दीं सरका,

खड़ी हुई वै चाल पड़ी द्रौपदी कै पहुँची पा,
जा करकैं नै कहण लगी ऐ बहना सुणले ध्यान लगा,
ईब तेरै ऊपर राजी जो होरया करतार,
जाकै दर्शन करले बहना जोड़ी का उठ्या भरतार,
द्रौपदी खड़ी हुई कर्ण को रही निहार,

शक्ति थी वा जाण गई मतलब लिया बात का पा,
और कोय राजा उठै उसतैं काम बणै कोन्या,
यो उसै कुन्ती का जाम्योड़ा मीन तार कैं देवै गिरा,
पैज पिता की पूरी होज्या नाटण नै फेर नहीं जगांह,

खड़ी हुई चाल पड़ी द्रौपदी सभा अन्दर आई,
आकर कैं कर्ण को वाणी कह सुणाई,
रै डटज्या डटज्या कर गात मैं समाई,

वा द्रौपदी कहण लगी जाणे आळे ठहर,
फर्क लागै बात मैं किमे माणस दिखै गैर,
बोली का तो कर दिया था गोळी कैसा फैर,
कहते कुन्दनलाल साज बिन सूखी बहर।।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 715 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेवफा
बेवफा
नेताम आर सी
बावन यही हैं वर्ण हमारे
बावन यही हैं वर्ण हमारे
Jatashankar Prajapati
अलमस्त रश्मियां
अलमस्त रश्मियां
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कभी कभी पागल होना भी
कभी कभी पागल होना भी
Vandana maurya
"तरबूज"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रणय निवेदन
प्रणय निवेदन
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आइन-ए-अल्फाज
आइन-ए-अल्फाज
AJAY AMITABH SUMAN
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
बहुत मशरूफ जमाना है
बहुत मशरूफ जमाना है
नूरफातिमा खातून नूरी
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
दस लक्षण पर्व
दस लक्षण पर्व
Seema gupta,Alwar
"मैं सोच रहा था कि तुम्हें पाकर खुश हूं_
Rajesh vyas
"फितरत"
Ekta chitrangini
👍
👍
*Author प्रणय प्रभात*
झूठ की टांगें नहीं होती है,इसलिेए अधिक देर तक अडिग होकर खड़ा
झूठ की टांगें नहीं होती है,इसलिेए अधिक देर तक अडिग होकर खड़ा
Babli Jha
*नन्ही सी गौरीया*
*नन्ही सी गौरीया*
Shashi kala vyas
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Shekhar Chandra Mitra
जीवन !
जीवन !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बंद करो अब दिवसीय काम।
बंद करो अब दिवसीय काम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
परम सत्य
परम सत्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मातृभाषा
मातृभाषा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सत्य प्रेम से पाएंगे
सत्य प्रेम से पाएंगे
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
समलैंगिकता-एक मनोविकार
समलैंगिकता-एक मनोविकार
मनोज कर्ण
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
*चाकलेट बढ़ि‌या रही, लेकर बाजी मार (कुंडलिया)*
*चाकलेट बढ़ि‌या रही, लेकर बाजी मार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
Buddha Prakash
Loading...