Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2017 · 1 min read

किस्सा–चन्द्रहास अनुक्रम–22

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–चन्द्रहास

अनुक्रम–22

वार्ता–विषिया श्रृंगार करके महल के छज्जे पर खड़ी होती है,और चंद्रहास के आने का इन्तजार करती है।उसके रूप शौंदर्य का वर्णन कवि ने किया है।

टेक-करकैं नै श्रृंगार नार,हार गळ डार,भरी मांग को सुधार,
बाहर छ्ज्जे पै खड़ी।

१-लख केश शेष छुपै भय से,कवि छवि कह सकते कैसे,
जैसे खिली हुयी धूप,सुन्दर रूप था अनूप,देखणीये हुये बेकूप,चूंप दशन मैं जड़ी।

२-भेष देख सकुचावै शची,गोल कपोल भृकुटी खंची,
रची अधरों पै लाली,गोल पूतली थी काली,मतवाली आली चाली,ठाली विधि नैं घड़ी।

३-चितवन मन दृग असि,जैसे सुर पुर मैं उर्वशी,
एक बै हंसी मंद मंद,देख कैं आवै था आनंद,अरविंद पै मकरंद,गंध पुष्प की हड़ी।

४-जो जन चरण शरण मैं रहते,जपते जाप ताप ना दहते,
गुरु कहते सर्वहाल, तत्काल नयी चाल, नंदलाल देते डाल, सुर ताल की झड़ी।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 649 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दर्पण दिखाना नहीं है
दर्पण दिखाना नहीं है
surenderpal vaidya
*अध्यापिका
*अध्यापिका
Naushaba Suriya
■ अनियंत्रित बोल और बातों में झोल।।
■ अनियंत्रित बोल और बातों में झोल।।
*Author प्रणय प्रभात*
💐💐बेबी मेरा टेस्ट ले रही💐💐
💐💐बेबी मेरा टेस्ट ले रही💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Wishing power and expectation
Wishing power and expectation
Ankita Patel
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
मैं आजादी तुमको दूंगा,
मैं आजादी तुमको दूंगा,
Satish Srijan
तेरी मेरी तस्वीर
तेरी मेरी तस्वीर
Neeraj Agarwal
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
तुम जख्म देती हो; हम मरहम लगाते हैं
तुम जख्म देती हो; हम मरहम लगाते हैं
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
हमारा सब्र तो देखो
हमारा सब्र तो देखो
Surinder blackpen
क्वालिटी टाइम
क्वालिटी टाइम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*जिंदगी के आकलन की, जब हुई शुरुआत थी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*जिंदगी के आकलन की, जब हुई शुरुआत थी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
!! परदे हया के !!
!! परदे हया के !!
Chunnu Lal Gupta
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
जीने के तकाज़े हैं
जीने के तकाज़े हैं
Dr fauzia Naseem shad
रूठते-मनाते,
रूठते-मनाते,
Amber Srivastava
23/97.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/97.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
बहुत उपयोगी जानकारी :-
बहुत उपयोगी जानकारी :-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
फितरत इंसान की....
फितरत इंसान की....
Tarun Singh Pawar
वह जो रुखसत हो गई
वह जो रुखसत हो गई
श्याम सिंह बिष्ट
'बेटी की विदाई'
'बेटी की विदाई'
पंकज कुमार कर्ण
फ़ितरत
फ़ितरत
Kavita Chouhan
जगत का हिस्सा
जगत का हिस्सा
Harish Chandra Pande
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
संतुलित रहें सदा जज्बात
संतुलित रहें सदा जज्बात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...