Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2017 · 4 min read

किस्सा–चंद्रहास अनुक्रम–11

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–चंद्रहास

अनुक्रम–11

टेक–बख्त पङे बिन कहो माणस का के बेरा पाटै सै,
दिल दरिया की झाल कोय डाटणीया डाटै सै।

१-बक्त पङे पै देख्या ज्या प्यारा दुःख का साझी हो,
मित्र बण कै धोखा करदे वो माणस पाजी हो,
सदा नहीं इकसार समय दिन चार चहन बाजी हो,
नित की चाहे चरा दाणा खर कुरङी पर राजी हो,
दूध और नीर मिला कै धरदे हंस अलग छांटै सै।

२-मूरख कै ना ज्ञान लगे चाहे नित बैठो सत्संग म्हं,
श्वान पवित्र ना होता करकै स्नान गंग म्हं,
नित की दूध पिला देखो बढता है जहर भुजंग म्हं,
करम छिपाये ना छिपता चाहे खाक रमाल्यो अंग म्हं,
षटरस के भोजन करवा कुत्ता चाकी चाटै सै।

३-घोङी घङी लुगाई दूजे को ना दीणी चाहिये जी,
है नीति का लेख मर्द से जौरु हीणी चाहिये जी,
सुलफा गांजा शराब गृहस्थी को ना पीणी चाहिये जी,
जो चीज दान में दे दिनी ना वापस लीणी चाहिये जी,
उसका कुण ऐतबार करै जो हां भरकै नाटै सै।

दौड़–

मन्त्री नै कही मेरी बात सही, झूठ नहीं सै इसके मांह,
हाथ जौङ खङ्या एक ठोङ, तुम मेरी ओङ नैं करो निगाह,

हिरण को मालम कोन्या, हो नाभि मैं कस्तूरी,
शील सुभा सैं कह रह्या सूं, कति नहीं मगरुरी,
मेरे घर पर हे राजा एक होग्या काम जरुरी,

काम बणै मेरे जाऐ पर चन्द्रहास भी करदेगा,
इसका सै विश्वास मनैं, यो ल्या कै सही खबर देगा,
मदन काम की करै तस्ल्ली, सारा पेटा भर देगा,

मनैं घणा जरुरी काम भेज दियो, कंवर तुम्हारे नैं,
घन पावस मैं राच्या करते, मोर धुन सुन कै नाच्या करते,बख्त पङे पै जांच्या करते मित्र प्यारे नैं,
समय दिन चार चहन बाजी हो, प्यारा दुख सुख का साझी हो,
भंवरा गुलशन मैं राजी हो, देख कैं कमल हजारे नैं,
समय बीत ज्या फेर नहीं आवै, मूर्ख धोखे धर पछतावैं,सारा शहर सराहवै सै इस लङके थारे नैं,

राजा सुण कै राजी होग्या, फूल्या नहीं समाया,
चन्द्रहास को कहण लग्या था, अपने पास बुलाया,
कुन्तलपुर तनैं जाणा होगा, ऐसा वचन सुणाया,

चन्द्रहास नै हां कर दी थी, करी नहीं इनकार देखिये,
मंगा सवारी चालण खातर, होग्या था झट त्यार देखिये,
लिख्या मन्त्री नैं परवाना, लाई कोन्या वार देखिये,

सिद्ध श्री सर्वज्ञ उपमा, अपरम् पार तुम्हारी,
लाख लाख आशीर्वाद बांचो मदन हमारी,
तेरे पास एक लङका भेजुं दिखा तेरी हुंशियारी,

रूप नक्शक सुन्दर इसके देखकै नै करणा क्या,
देखते ही विष दे देणा, चिट्ठी अंदर लिख दी या,
लिख करकै नै परवाना उपर दिनी मोहर लगा,

चंद्रहास जब चाल पङ्या था, देर जरा ना लाई,
चंद्रहास की माता, लड़के कै जब धोरै आई,
धोरै आकै कहण लगी थी पीछै जाईये भाई,

भोजन का ऊनै थाल सजाया, चंद्रहास को रही खिला,
दही भात का करो कलेवा, निधी पार होज्यागी खेवा,
मात पिता की करीये सेवा, बेटा तुमको रही बता,

चंद्रहास नै कहण लगी थी मेरी तरफ नै ध्यान लगा,
रक्षा बन्धन डोरी बान्धु, तेरी दाहिणी भुजा लफा,
जै कोई बैरी दुश्मन बेटा, तेरे पै ले घात लगा,

उसकी उस पै उल्टी पङज्या तनै तो कोई खटका नां,
सिर पुचकारया लङकै का, मंगरा मैं दी थापी ला,
तेरी रक्षा करतार करैगा, निर्भय होकै चाल्या जा,
चंद्रहास जब चाल पङ्या था, माता की ली आज्ञा पा,

अच्छे सूण होण जब लागे, चंद्रहास नैं करी निंगाह,
चाल पङ्या कंवर सङासङ, पिच्छे छींक लगी होण तङातङ,
बांमै तीतर बोलैं चङाचङ, बढिया बाणी रहै सुणा,

विप्र मिल्या तिलक शुभ राशि,मंगल गावती मिलगी दासी,
भली करैंगे द्वारकावासी, अविनाशी की फिरी दया,
मंगलामुखी मिले थे सन्मुख, साजबाज वे रहे बजा,

राजपूत घोङे पर चढरह्या, शस्त्र अस्त्र रह्या लगा,
लागङ गऊ मिली रस्ते मैं, बछङे को रही दूध पिला,
बाङ्यां पर कै चढैं न्योऴिये, कूद कूद रहे छाऴ लगा,

चंद्रहास जब देखण लाग्या, जाकर कै नै करी निगाह
दरवाजै मिली पणिहारी, शुभ कूख सुहागण नारी,
बाऴक नै गोद खिलारी, सिर पर दोघङ ठारी,
नारी, प्यारी, आरी जारी बलकारी कै चढग्या चा,

देख देख कै सूणा कानी, सोचण लाग्या मन कै मांह,
सूणा तैं न्यु मालुम हो सै, आगै जाणु बणैगा ब्याह,
तुरंग उङाया चल्या सवाया, कुन्तलपुर कै पहुंच्या पा,

जा करकै नै पुछण लाग्या, कुन्तलपुर बताया गाम,
दीवान की थी बेटी एक, विषिया था जिसका नाम,
लगवाया बगीचा जिसमैं,घुम्या करती सुबह शाम,
देख कै नै बाग लिया चंद्रहास नैं घोङा थाम,
पहले चालुं बाग मैं पिछै करुं और काम,
कहते पिता केशवराम नाम रटो आठों याम।

४-भूंड ढूंढ कै ल्यावै गौळी भंवरा बाग तजै कोन्या,
योजन भर पाणी मै गेरो चकमक आग तजै कोन्या,
शीलवंत गुण ना तजता अवगुण निरभाग तजै कोन्या,
कहते कुन्दन लाल हाल कटुलाई काग तजै कोन्या,
नंदलाल कहै दुश्मन प्यारा बणकै गळ काटै सै।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चंदा तुम मेरे घर आना
चंदा तुम मेरे घर आना
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
💐प्रेम कौतुक-458💐
💐प्रेम कौतुक-458💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
श्री बिष्णु अवतार विश्व कर्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
Rj Anand Prajapati
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
कवि दीपक बवेजा
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
Pratibha Pandey
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
शायद शब्दों में भी
शायद शब्दों में भी
Dr Manju Saini
मजबूरी तो नहीं
मजबूरी तो नहीं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
Harsh Nagar
मन-गगन!
मन-गगन!
Priya princess panwar
जिन्हें रोते-रोते
जिन्हें रोते-रोते
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
संचित सब छूटा यहाँ,
संचित सब छूटा यहाँ,
sushil sarna
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिल के जख्म
दिल के जख्म
Gurdeep Saggu
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मौत का रंग लाल है,
मौत का रंग लाल है,
पूर्वार्थ
हर रात की
हर रात की "स्याही"  एक सराय है
Atul "Krishn"
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
Sanjay ' शून्य'
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
ग्रंथ
ग्रंथ
Tarkeshwari 'sudhi'
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2616.पूर्णिका
2616.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...