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30 Jul 2016 · 1 min read

किसी का टूट जाये दिल कभी वो बात मत कहिये

किसी का टूट जाये दिल कभी वो बात मत कहिये
मुहब्बत पाक बंधन है इसे ख़ैरात मत कहिये

सुबह से शाम तक इक आपकी ही फ़िक्र रहती है
मुहब्बत को हमारी यूँ सियासीयात मत कहिये

वफ़ादारी निभाता है कहाँ कोई ज़माने में
बिना जाँचे बिना परखे कभी जज़्बात मत कहिये

जुदाई ज़ख्म आँसू और जीवनभर की तन्हाई
मुहब्बत में हमें क्या-क्या मिली सौगात मत कहिये

निखरता है बशर मुश्किल पलों में ही सदा ‘माही’
कभी भी ज़िंदगानी में बुरे हालात मत कहिये

माही

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