Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2017 · 1 min read

किराये की कोख़

एक कोख़ किराये की
जिसमें पलता है भ्रूण किसी और का
मज़बूरी किसी की भी हो
पालती है नौ महीने तक
सींचती है अपने खून से
भरतीं है उसमें अपनी मज्जा
हर एक पीड़े के साथ
साथ में एक और पीड़ा
जुदाई का बिछड़ने का
कौन समझेगा उसका दर्द
समय के चक्रव्हू मे फँसी
बस नाम की है माँ वो
यह पेट की आग ही थी
जिसकी मार से वह नौ महीने
अपने उदर में दूसरे की आग पालती रही
जलती रही गलती रही और भटकती रही
अज्ञात भय के जंगल में
जिसका वर्णन शब्दातीत है
इस वेदना को समझे कौन?
समय है मौन, समय है मौन
डॉ मनोज कुमार
मोहन नगर गाजियाबाद

Language: Hindi
337 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143के दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मौत का क्या भरोसा
मौत का क्या भरोसा
Ram Krishan Rastogi
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पूर्वार्थ
क्या सोचूं मैं तेरे बारे में
क्या सोचूं मैं तेरे बारे में
gurudeenverma198
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
🙏
🙏
Neelam Sharma
"अहसासों का समीकरण"
Dr. Kishan tandon kranti
पहला-पहला प्यार
पहला-पहला प्यार
Shekhar Chandra Mitra
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
आ रही है लौटकर अपनी कहानी
आ रही है लौटकर अपनी कहानी
Suryakant Dwivedi
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
बिल्ली मौसी (बाल कविता)
नाथ सोनांचली
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
Slok maurya "umang"
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बाढ़ और इंसान।
बाढ़ और इंसान।
Buddha Prakash
सावन का महीना
सावन का महीना
Mukesh Kumar Sonkar
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*
*"जन्मदिन की शुभकामनायें"*
Shashi kala vyas
खुद के करीब
खुद के करीब
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Noone cares about your feelings...
Noone cares about your feelings...
Suryash Gupta
2386.पूर्णिका
2386.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
मरीचिका
मरीचिका
लक्ष्मी सिंह
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
कविता
कविता
Rambali Mishra
■ सामयिक सवाल...
■ सामयिक सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
छोटा परिवार( घनाक्षरी )
छोटा परिवार( घनाक्षरी )
Ravi Prakash
रंगों में भी
रंगों में भी
हिमांशु Kulshrestha
चाय और गपशप
चाय और गपशप
Seema gupta,Alwar
Loading...