किया-धरा रह गया ….
1222 1212 212
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जख़म मेरा कहीं हरा रह गया
किया सारा, किया-धरा रह गया
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लगा के आग मुझे देखा किए
तपा कुंदन कई दफा रह गया
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अभी पेशे नजर किया है वजूद
बकाया शेष फैसला रह गया
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खिला कर रखा हिफाजतो के गुलाब
करीब आते तेरा’जुड़ा’ रह गया
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रखी बेरंग नुमाइश में कौडियां
खजाना मैं अरबो गड़ा रह गया
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जमाने भर सभी चले दौड़ते
मुझे कांटा चुभा खड़ा रह गया
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तमाशा बन के जी रहे हम सुशील
जहां सोचा सब अधूरा रह गया
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग
7.7.17