” कितना और सजोगी ” !!
नख से शिख ,
अलंकरण है !
सजे सजे से ,
तन मन हैं !
नज़रों से ऐसा –
बाँधा है ,
जादू है या
वशीकरण है !
अधरों पर है ,
मूक निमंत्रण –
कितना और हंसोगी !!
रूप रंग है ,
आँचल फहरा !
नागिन लट हैं ,
काजल गहरा !
गंध सुगंध यों –
लहर गई ,
जागा ऐसा ,
भाव रूपहरा !
मौसम बहका ,
भरमाने को –
कितने स्वांग रचोगी !!
रात दिवस अब ,
हुए सुहाने !
लबों पे मीठे ,
प्रेम तराने !
आसमान भी –
रंग बिखेरे ,
इंद्रधनुष को ,
ख़ुशी में ताने !
अलबेली सी ,
सभी अदाएँ-
कितना और छलोगी !!