Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2017 · 1 min read

काले मेघा जब तुम आना

काले मेघा जब तुम आना
छत पर मेरी भी आ जाना
अपनी शीतलता से कुछ तो
इस तन मन की अगन बुझाना

नफरत की जो धूप सही है
बेल प्रेम की सूख रही है
हरा भरा करने ही उसको
नेह भरा अमृत बरसाना
काले मेघा जब तुम आना

बात पुरानी याद दिलाती
तन्हाई यूँ मुझे सताती
गरज गरज कर थोड़ा सा तो
मेरी खातिर इसे डराना
काले मेघा जब तुम आना

आँखों से सागर सा बरसे
जीवन खुशियों को ये तरसे
इंद्रधनुष के रँग बिखरा कर
बूंदों के तुम राग सुनाना
काले मेघा जब तुम आना

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र)

Language: Hindi
Tag: गीत
497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
23/208. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/208. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" शांत शालीन जैसलमेर "
Dr Meenu Poonia
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
शरद पूर्णिमा की देती हूंँ बधाई, हर घर में खुशियांँ चांँदनी स
शरद पूर्णिमा की देती हूंँ बधाई, हर घर में खुशियांँ चांँदनी स
Neerja Sharma
रविवार की छुट्टी
रविवार की छुट्टी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्राण vs प्रण
प्राण vs प्रण
Rj Anand Prajapati
दिए जलाओ प्यार के
दिए जलाओ प्यार के
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"राष्ट्रपति डॉ. के.आर. नारायणन"
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
ये  दुनियाँ है  बाबुल का घर
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
Sushmita Singh
Banaras
Banaras
Sahil Ahmad
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
" नाराज़गी " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*
*"परछाई"*
Shashi kala vyas
दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।
दूरियां अब सिमटती सब जा रही है।
surenderpal vaidya
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
छन्द- सम वर्णिक छन्द
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
rekha mohan
थक गये है हम......ख़ुद से
थक गये है हम......ख़ुद से
shabina. Naaz
फितरत
फितरत
Awadhesh Kumar Singh
संसद के नए भवन से
संसद के नए भवन से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वजह ऐसी बन जाऊ
वजह ऐसी बन जाऊ
Basant Bhagawan Roy
*_......यादे......_*
*_......यादे......_*
Naushaba Suriya
नारी अस्मिता
नारी अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
निंदा
निंदा
Dr fauzia Naseem shad
Wakt ke girewan ko khich kar
Wakt ke girewan ko khich kar
Sakshi Tripathi
*पूरी करके देह सब, जाते हैं परलोक【कुंडलिया】*
*पूरी करके देह सब, जाते हैं परलोक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
कमी नहीं थी___
कमी नहीं थी___
Rajesh vyas
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
पूर्वार्थ
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
gurudeenverma198
Loading...