Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2017 · 1 min read

कहाँ बदली गई

(१)
कभी घर पर नहीं करते, कभी बाहर नहीं करते
किसी भी धर्म की निन्दा, किसी भी दर नहीं करते
दिखे मंदिर, दिखे मस्जिद, झुका देते हैं सिर अपना
निवासी हिन्द के हैं हम, कभी अंतर नहीं करते
(२)
सत्ता यहाँ बदली गई सत्ता वहाँ बदली गई.
इस देश की तस्वीर लेकिन कब यहाँ बदली गई.
हर रोज फर्नीचर नया आता रहा दरबार में,
टूटी हुई वह खाट बुधिया की कहाँ बदली गई
(३)
नहीं किसी से प्यार किया है
नहीं कभी उपकार किया है
व्यर्थ तुम्हारा जीवन मानव
धन संग्रह बेकार किया है

Language: Hindi
429 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
Paras Nath Jha
इच्छा-मृत्यु (बाल कविता)
इच्छा-मृत्यु (बाल कविता)
Ravi Prakash
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कविता
कविता
Shiva Awasthi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
'अशांत' शेखर
"संविधान"
Slok maurya "umang"
आरजू
आरजू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हक़ीक़त सभी ख़्वाब
हक़ीक़त सभी ख़्वाब
Dr fauzia Naseem shad
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
DrLakshman Jha Parimal
"भरोसा"
Dr. Kishan tandon kranti
"ऐसा है अपना रिश्ता "
Yogendra Chaturwedi
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
मैं पढ़ने कैसे जाऊं
Anjana banda
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
कवि रमेशराज
कभी धूप तो कभी बदली नज़र आयी,
कभी धूप तो कभी बदली नज़र आयी,
Rajesh Kumar Arjun
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Bodhisatva kastooriya
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
■ थिंक_ज़रा_हट_के
■ थिंक_ज़रा_हट_के
*Author प्रणय प्रभात*
दोहे
दोहे
Santosh Soni
राह देखेंगे तेरी इख़्तिताम की हद तक,
राह देखेंगे तेरी इख़्तिताम की हद तक,
Neelam Sharma
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
पूर्वार्थ
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
सत्य कुमार प्रेमी
💐गीता च रामायणं च ग्रन्थद्वयं बहु विलक्षणं💐
💐गीता च रामायणं च ग्रन्थद्वयं बहु विलक्षणं💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
3141.*पूर्णिका*
3141.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तानाशाह
तानाशाह
Shekhar Chandra Mitra
Loading...