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11 Sep 2017 · 2 min read

कसें लगाम

नन्हे निर्दोष बालक की स्कूल में चाकू से गोद कर हत्या ?
मासूम अबोध बालिका के साथ स्कूल के भीतर अमानवीय घृणित कुकृत्य ?
स्कूल में धूप में दौड़ लगवाते समय चक्कर आने से बच्चे की मौत ?
प्रतिदिन घटित होने वाली इन दर्दनाक घटनाओं से सीधे तौर पर तो बच्चों के अभिभावक ही प्रभावित होते हैं किन्तु परोक्ष रूप से समस्त अभिभावकों में असुरक्षा व भय व्याप्त होना स्वाभाविक है।
‌विद्यालय विद्या के मंदिर कहलाते हैं। एक इंसान का शैशवावस्था से किशोर वय तक सर्वांगीण विकास का पूर्ण दायित्व इन्हीं विद्या के मंदिरों का होता है। ये विद्यालय अपनी इस जिम्मेदारी पर कितने खरे उतरे हैं वह तो वर्तमान की दर्दनाक घटनाएं चीख चीख कर बता ही रही हैं।
आवश्यकता है ऐसी शिक्षण संस्थाओं पर लगाम कसने की। प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि तुरंत प्रभाव से ऐसी संस्थाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। ऐसी शिक्षण संस्थाओं की मान्यता तुरंत प्रभाव से समाप्त की जानी आवश्यक है ताकि अपराधी तत्वों को एक सबक मिले और दोबारा ऐसा घिनौना दुष्कृत्य करने की बात वे सोच भी न सके। अपराधियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। फैसले फास्ट ट्रैक कोर्ट में किए जाने चाहिए।संपूर्ण देश में शिक्षा संबंधी एकरूपता हो। शिक्षण संस्थाओं के लिए एक सुदृढ़ व कठोर नियमों से लैस नियंत्रक बोर्ड गठित हों जो सदैव सजग व सक्रिय रह कर विद्यार्थियों के हित में कार्य करे। प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं की प्रभुता व दादागिरी समाप्त होनी आवश्यक है।
जिन माता-पिता के ह्रदय का टुकड़ा इतने दर्द से गुजरा और जिसे वो सदा सदा के लिए खो बैठे उनके ह्रदय की पीड़ा को महसूस कर असंभव है। ईश्वर उस नन्ही जान की आत्मा को शांति प्रदान करे व उन दुखियारे माता-पिता को इस पहाड़ के समान असहनीय दुख को सहन करने की असीम हिम्मत प्रदान करे। दुख की घड़ी में हम सब देश वासी उनके साथ हैं।

– – – – रंजना माथुर दिनांक 11/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
492 Views
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