Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2017 · 2 min read

कवि की नजर मेंं देश दुनिया

क्या कुछ घट रहा है दुनिया में
देखता हूँ और दंग हूँ
सत्य कहूं तो खुद की हालात से भी तंग हूँ।
काम चल नहीं रहा पैसों की मारा मारी है
कईयों को तो इस हालात में भी
उधार मांगने की अजीब बिमारी है।
मन बहलाने को कभी कभार टीवी देख लेता हूँ
कभी क्रिकेट तो कभी न्यूज पे
आंखें सेंक लेता हूँ
समाचार भी नाजाने क्या-क्या आने लगे है
बेमतलब न्यूज में भी ऐंकर
मिर्च मसाला लगाने लगे है।
वे भी करें क्या हर तरफ टीआरपी का खेल है
वैसे इनके समाचारों का वास्तविकता से
शायद ही कहीं कोई मेल है।
धर्म के धुरंधर अब टीवी पे आने लगे है
अपने कारनामों से जन-जन पे छाने लगे है
यहाँ तक कि जेल भी जाने लगे है
सरकार की कहें तो प्रगति का बोलबाला है
जनता परेशान है फिर भी मुख पे ताला है।
नोट बंदी, जीएसटी देश को बढाऐंगे
देश बढे ना बढे किन्तु गरीब को सतायेंगे
रेलमंत्री ने इस्तीफा दिया कारण
रेल जो लड़ी है
चलो विपक्ष के हाथ जिन्दा बटेर जो लगी है
किन्तु एक बात तो है
इसबार मुआवजे की रकम पहले से बढी है।
मंहगाई का जोर है
चहुंओर भ्रष्टाचार घनघोर है
स्वदेशी का बोलबाला है कारण
बाबा रामदेव जी ने पतंजलि जो सम्भाला है।
फैशन ऐसा वस्त्र पहने है फिर भी नंगे हैं
गंजों के सर बीग, बाल वाले गंजे है
लड़कियां बाल कटाने लगीं
लड़के चोटी बढाने लगे
अबका ये घटनाक्रम वाकई काबिलेगौर है
जिधर देखें उधर नग्नता का दौर है
ईश्वर की खोज में मिडिया जाने लगी है
धर्म को धंधा बना टीआरपी बढाने लगी है।
यह सब देख कवि का मन रोने लगा है
“सचिन” सर का बाल नोच रहा
आपा खोने लगा है।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
1/9/2017

Language: Hindi
1 Like · 194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
Safar : Classmates to Soulmates
Safar : Classmates to Soulmates
Prathmesh Yelne
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*वीरस्य भूषणम् *
*वीरस्य भूषणम् *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#आज_की_विनती
#आज_की_विनती
*Author प्रणय प्रभात*
2869.*पूर्णिका*
2869.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माफ करना, कुछ मत कहना
माफ करना, कुछ मत कहना
gurudeenverma198
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
Seema gupta,Alwar
भ्राता हो तुझ सा बलराम...
भ्राता हो तुझ सा बलराम...
मनोज कर्ण
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
Dr Tabassum Jahan
रुकना हमारा काम नहीं...
रुकना हमारा काम नहीं...
AMRESH KUMAR VERMA
बुढ़ापा
बुढ़ापा
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
Ajay Shekhavat
इश्क़ के समंदर में
इश्क़ के समंदर में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"New year की बधाई "
Yogendra Chaturwedi
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
yuvraj gautam
!! ये सच है कि !!
!! ये सच है कि !!
Chunnu Lal Gupta
मित्रता:समाने शोभते प्रीति।
मित्रता:समाने शोभते प्रीति।
Acharya Rama Nand Mandal
हिंदी दिवस की बधाई
हिंदी दिवस की बधाई
Rajni kapoor
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
कृष्णकांत गुर्जर
बड़ा भाई बोल रहा हूं।
बड़ा भाई बोल रहा हूं।
SATPAL CHAUHAN
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
उसकी गली तक
उसकी गली तक
Vishal babu (vishu)
तलाश है।
तलाश है।
नेताम आर सी
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी क्या है ?
ज़िंदगी क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...