Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2017 · 1 min read

कविता

इतराती बलखाती पनघट को जाती शीश गगरिया थाम।
गागर धर मटकाय कमर,सब देखें टुकुर टुकुर अविराम।

गज गामिनी पग धरे ज्यों,नटिनी की चाल।
प्रिय हिय में तड़प उठी,पूछो जा कोई हाल।

पनिया भरते चंचल से नैना साँवरिया से लागे।
नैन लगा दिया चैन गंवा,दिन रैन अंखियां जागें।

लाज शरम चुनर में लिपटी,लब मृदुल मुस्कान बिखरी।
गाल गुलाबी रंग से निखरे, सखियों को बात यहअखरी।

दन्त छवि घूघट पट से चमके हँस हँस करे मखोल।
लगे ऐसे ज्यों शुभ्र खग दल पंक्ति में,करें मधु किलोल।

सुंदरी साँवरि भरी अंजन अंखियां, हों ज्यूं काले घन।
अंग -प्रत्यंग चंद्र सम आभा,डोले बलम हृदय- मन।

भोर किरण देख मुस्काती और विहल्ल सुरमई शाम।
मेंहदी हाथ,पांव रचा अलता, चूड़ियां रहीं कलाई थाम।

हरित वसुधा सजी फसलों से, हुए पावन धन्य ग्राम।
स्वच्छ हवा,परिवेश गुंजित मधुर कलरव अभिराम।

सुन नीलम तू भी उन्मुक्त गगन में भर स्वच्छंद उड़ान।
दिल की धड़कन कहती तू भी अपने कर पूरे अरमान।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
Taj Mohammad
मेरी बात अलग
मेरी बात अलग
Surinder blackpen
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
DrLakshman Jha Parimal
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
'अशांत' शेखर
"लालटेन"
Dr. Kishan tandon kranti
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
Shweta Soni
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
Anand Kumar
నీవే మా రైతువి...
నీవే మా రైతువి...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
पके फलों के रूपों को देखें
पके फलों के रूपों को देखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुदरत
कुदरत
manisha
तेरा पापा मेरा बाप
तेरा पापा मेरा बाप
Satish Srijan
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
मैंने तुझे आमवस के चाँद से पूर्णिमा का चाँद बनाया है।
मैंने तुझे आमवस के चाँद से पूर्णिमा का चाँद बनाया है।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हो मापनी, मफ़्हूम, रब्त तब कहो ग़ज़ल।
हो मापनी, मफ़्हूम, रब्त तब कहो ग़ज़ल।
सत्य कुमार प्रेमी
सुकर्म से ...
सुकर्म से ...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब (कुंडलिया)
Ravi Prakash
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कीमत बढ़ानी है
कीमत बढ़ानी है
Roopali Sharma
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
Anju ( Ojhal )
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
Lokesh Singh
💐प्रेम कौतुक-489💐
💐प्रेम कौतुक-489💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कसौटी
कसौटी
Astuti Kumari
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
'क्या कहता है दिल'
'क्या कहता है दिल'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
डाइन
डाइन
अवध किशोर 'अवधू'
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पिता !
पिता !
Kuldeep mishra (KD)
फ़ितरत
फ़ितरत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
*पशु- पक्षियों की आवाजें*
Dushyant Kumar
Loading...