Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2017 · 1 min read

कविता

वाह री कुदरत क्या खूब रची मानव की सुसंरचना
कुशाग्र बुद्धि और जीवन से भरी तेरी यह रचना।
तरु विटप वल्लरी वन उपवन है,हरित और घना
दृढ़,विशाल, अडिग पाहन, गिरी, कबसे खड़े हैं।
काटकर पहाड़,मानव रहा आलय और मार्ग बना।

देखो पहुंचा मनु शशि, इंदु पर है,
नहीं रहा दूरी पर कोई शेष ग्रह।
बुद्धि बल से, दिया पर्वतों काम चीर सीना,
पहुंचा हिमालय,एवरेस्ट पर, नहीं ज़रा अनमना।

तोड़ पर्वत बना रहा मनु,नित नव्य राहें
शिखर सफलता का खड़ा है खोल बाहें।
पंथी पथ स्व बना रहा शैल का फोड़ सीना
करती विस्मित राह लगती,ज्यूं खड़ा है सिंह तना।

नैन मूंदे खड़ा क्यों? तू सिंह बतादे
किस शिकार की धाक हैं,तेरे इरादे।
भूल मत वनराज यह,तू पाहन काटकर बना
हरित पहाड़ी से घिरा तू,नहीं ये कोई वन घना।

देख मनु की अनंत प्रबलता और अदम्य साहस
निस गुजरता पास से तेरे,हो पूनो या अमावस।
प्रतीत होता,संबोधित कर रहा,तू गहरी घाटियों को
सुखद, स्वर्गिक नील वर्णी ,अनन्य वादियों को।

देखो, नीलम क्या खूब कलाकृति है मनुष्य महान की
आकृति बदली उजाड़ वन उपवन और काट पाहन की पाषाण, शिला, शैल, प्रस्तर, उपल और खेत खलिहान
तरक्की के नशे में भूला मनुष्यता क्यों ए महान इंसान।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 458 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
जीवन के इस लंबे सफर में आशा आस्था अटूट विश्वास बनाए रखिए,उम्
जीवन के इस लंबे सफर में आशा आस्था अटूट विश्वास बनाए रखिए,उम्
Shashi kala vyas
हमनवां जब साथ
हमनवां जब साथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
धरी नहीं है धरा
धरी नहीं है धरा
महेश चन्द्र त्रिपाठी
याद तुम्हारी......।
याद तुम्हारी......।
Awadhesh Kumar Singh
2703.*पूर्णिका*
2703.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करम
करम
Fuzail Sardhanvi
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
Rajesh Kumar Arjun
वक्त से पहले
वक्त से पहले
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-255💐
💐प्रेम कौतुक-255💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पश्चाताप का खजाना
पश्चाताप का खजाना
अशोक कुमार ढोरिया
इतना हमने भी
इतना हमने भी
Dr fauzia Naseem shad
सीखने की भूख
सीखने की भूख
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
Santosh Soni
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kumar lalit
राह हूं या राही हूं या मंजिल हूं राहों की
राह हूं या राही हूं या मंजिल हूं राहों की
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरे हर शब्द की स्याही है तू..
मेरे हर शब्द की स्याही है तू..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
खैर-ओ-खबर के लिए।
खैर-ओ-खबर के लिए।
Taj Mohammad
भागअ मत, दुनिया बदलअ
भागअ मत, दुनिया बदलअ
Shekhar Chandra Mitra
ज़िंदगी की उलझन;
ज़िंदगी की उलझन;
शोभा कुमारी
छोड दो उनको उन के हाल पे.......अब
छोड दो उनको उन के हाल पे.......अब
shabina. Naaz
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मेरे छिनते घर
मेरे छिनते घर
Anjana banda
फायदा उठाया है उसने अपने पद का
फायदा उठाया है उसने अपने पद का
कवि दीपक बवेजा
****शिक्षक****
****शिक्षक****
Kavita Chouhan
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...