कविता : यादें
सावन की फुहार-सी,खिले गुलज़ार-सी।
अख़बारे-समाचार-सी,तीज त्योहार-सी।
आनंद रत्न देती मुझे,ये हरती अवसाद,
हैंं प्रिय!तेरी यादें ये,इंद्रधनुषी दीदार-सी।
……???
बहते हुए झरनों-सी,पकती फ़सलों-सी।
दौड़ते हुए हिरनों-सी,खिलते कमलों-सी।
मेरे तस्व्वुर में सजती,निखरें धूप सरीखी,
सुंगधित करती हृदय,चमन के फूलों-सी।
……???
जिस पल देखूँ तुझे,वो पल ठहर जाए।
उस पल में ज़िदगी,तमाम गुज़र जाए।
काश!कल्पित पल,पल्वित हो फूले-फले,
जहाँ देखूँ हर शै में,तू ही नज़र आए।
……???
मेरे इस दीवानेपन की,हर आरज़ू पूरी हो।
समान वज़न से ज्यों,सनम तराज़ू पूरी हो।
तेरी याद का पलपल साकार हो जाए ये,
यही गुज़ारिश ख़ुदा से,मेरी जुस्तुज़ू पूरी हो।
……???
●●●●●●●●●●●●राधेयश्याम बंगालिया
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