#धूम मचाती हिंदी है
मधुर मनोहर मीठी-सी,अपनी भाषा हिंदी है।
देवनागरी लिपि इसकी,माथे पर ज्यों बिंदी है।।
1..
शब्द फूल से सुरभित हैं,भरलो उर रीति गागरी।
मिलके बोलो ज़ोश लिए,जय हिंदी-देवनागरी।
संस्कृत से हुई उत्पन्न,लेकर सुंदर सरल रूप।
शुष्क अधर में रस भर दे,मीठे जल का ज्ञान कूप।
प्रथम स्थान जग में पाया,महकी भाषा हिंदी है।
देवनागरी लिपि इसकी,माथे पर ज्यों बिंदी है।।
2..
हरभाषा से प्रेम करे,ये पलकों बैठाती है।
गीतों भजनों में बसके,मिस्री-सी घुल जाती है।
आन बान मान देश की,है ये पहचान देश की।
कोयल कूक सरीखी ये,कहलाए तान देश की।
हर भाषा को आदर दे,नाता जोड़े हिंदी है।
देवनागरी लिपि इसकी,माथे पर ज्यों बिंदी है।।
3..
एक सूत्र में पिरो रखे,सबके मन को भाती है।
बड़े-बड़े ग्रन्थों से ये,जग तूती बुलवाती है।
एकदिवस क्या हिंदी का,अब हर दिवस मनाओ तुम।
हिंदी हिंदू हिंदुस्तांं,नारा जग गुंजाओ तुम।
अब देश विदेश मिलाती,उड़ती जाती हिंदी है।
देवनागरी लिपि इसकी,माथे पर ज्यों बिंदी है।।
4..
वैज्ञानिक आधार लिए,उर में निश्छल प्यार लिए।
संविधान में दर्ज़ हुई,भारती की जयकार लिए।
तिथि चौदह सितंबर रही,उन्नीस सौ उनचास सन।
बनी राजभाषा भारत,लेकर सबसे अपनापन।
जनमन को हरती बढ़ती,धूम मचाती हिंदी है।
देवनागरी लिपि इसकी,माथे पर ज्यों बिंदी है।।
#आर.एस.’प्रीतम’