Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2017 · 2 min read

कल्पतरु चालीसा

स्वामी विद्यानंद जी, नरहरि केशवानंद।
साईंधाम की पुण्यधरा पर, चहु ओर आनंद।।

कल्पतरु अभियान है, कदम्ब का अवतार।
जड़बुद्धि’कल्प’ बखान करे,जीव-जगत का सार।।

अँगना तुलसी पौध लगावे।सकल सिद्धि सुख संपत्ति पावे।।

पर्यावरण की करे जो रक्षा, जीव-जगत की होय सुरक्षा।।

बसुधा का श्रृंगार वृक्ष हैं। जीवन का आधार वृक्ष हैं।।

वृक्षों की महिमा है न्यारी। जीव-जगत के पालनहारी।।

कन्दमूल जड़ औषधिकारी। तनाछाल फलफूल सुखारी।।

थल-नभचर के आश्रयदाता। तुम ही मात-पिता अरु भ्राता।।

पृथ्वी पर जीवन आधारी। जहाँ वृक्ष वहाँ जीव सुखारी।

हवा छाँव अरु जल के दाता, थका पथिक भी आश्रय पाता।।

भूमि वायु अग्नि नभ नीरा। पंचतत्व भगवान शरीरा।।

ईश ख़ुदा गुरू देव का वासा। सर्व धर्म जीवन की आसा।।

जीवों के तुम जीवन दाता। नदियों के हो भाग्यविधाता।।

जलस्तर ऊपर तुम लाते। हर कृषक की प्यास बुझाते।।

मेघों से जब तुम टकराते। वर्षा बन पृथ्वी पर आते।।

तुम से ही चहुदिश हरियाली। तुम बिन भुखमरी अरु कंगाली।।

मात-पिता जग स्वारथ रीति। सन्तानों पर मोह परिती।।

तरु जीवन निःस्वारथ ऐंसा। पर उपकारी ना तुम जैसा।।

परहित धर्म न वृक्ष सामना। समरसता का भाव जगाना।।

तुम समान न कोउ उपकारी। सकल जीव के पालनहारी।।

अमृत देकर विष खुद पीते। प्राणवायु बिन जीव न जीते।।

जनम मरण तक साथ निभाते। हर कारज काम जो आते।।

औषधियाँ तुम से ही बनती। हर पीड़ा को क्षण में हनती।।

परपोषी हम तुम हो स्वामी। भूख हरो तुम अन्तर्यामी।।

सकल जीव की भूख मिटाते। पादप परहित धरम निभाते।।

एकै ग्रह वसुधा पर जीवन। जल वायु है बनी सजीवन।।

पीपल बरगद ब्रम्ह समाना। नीम आँवला औषधि नाना।।

आयुर्वेद में खूब बखाना। हर एक मर्ज का विटप निदाना।।

कल्पतरू परिवार है ऐंसा। नही प्रेम जग में इस जैंसा।।

नाना जाति धरम के लोगा। वरन वरन मिल बन संयोगा।।

नगर देश का मान बढ़ाते। मिलजुल कर सब पेढ लगाते।।

शनिवार दिन है अति प्यारा। उत्सव हर सप्ताह हमारा।।

जंगल की तुम ही से शोभा। नदी उदगम के कारक होवा।।

आओ मिल सब वृक्ष लगावें। माँ वसुधा को स्वर्ग बनावें।।

पर्यावरण की करें जो रक्षा। भावी जीवन होय सुरक्षा।।

नही माँगते किसी से भिक्षा। स्वाभिमान की देते शिक्षा।।

सर्वधर्म समभाव हमारा। कल्पतरू परिवार है प्यारा।।

कल्पतरु ही धरम हमारा। सब धर्मों में सबसे न्यारा।।

सभी धर्म तुमको अपनाते। मिलकर पर्यावरण बचाते।।

जनम दिवस पर वृक्ष लगाओ।यादों को जागीर बनाओ।।

जो वृक्षों का बने उपासक। संतति उसकी रहेंगी शासक।।

दुःखों से अब मुक्ति पाओ। अरविंद ‘कल्प’ विटप लगाओ।।

कल्पवृक्ष स्वर्गलोक तरू,मन्वनञ्छित फल धाए।
कल्पतरू अभियान से,’कल्प’ धरा पर आए।।

Language: Hindi
1315 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बड़ा सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
*खुशी लेकर चली आए, सभी के द्वार दीवाली (हिंदी गजल)*
*खुशी लेकर चली आए, सभी के द्वार दीवाली (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वो सुहानी शाम
वो सुहानी शाम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Irritable Bowel Syndrome
Irritable Bowel Syndrome
Tushar Jagawat
अकेला बेटा........
अकेला बेटा........
पूर्वार्थ
नित तेरी पूजा करता मैं,
नित तेरी पूजा करता मैं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भारत रत्न डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर
भारत रत्न डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर
KEVAL_MEGHWANSHI
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
Satyaveer vaishnav
आगाह
आगाह
Shyam Sundar Subramanian
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
तुम्हें नमन है अमर शहीदों
तुम्हें नमन है अमर शहीदों
लालबहादुर चौरसिया 'लाल'
दोहा पंचक. . .
दोहा पंचक. . .
sushil sarna
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ख़ुद से हमको
ख़ुद से हमको
Dr fauzia Naseem shad
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
तेरे जाने के बाद ....
तेरे जाने के बाद ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
2305.पूर्णिका
2305.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
डॉ. दीपक मेवाती
"फासले उम्र के" ‌‌
Chunnu Lal Gupta
*सुख या खुशी*
*सुख या खुशी*
Shashi kala vyas
■ दो सवाल...
■ दो सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
टाँगतोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हौंसले को समेट कर मेघ बन
हौंसले को समेट कर मेघ बन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
आर.एस. 'प्रीतम'
सूरज दादा ड्यूटी पर
सूरज दादा ड्यूटी पर
डॉ. शिव लहरी
मैं पीपल का पेड़
मैं पीपल का पेड़
VINOD CHAUHAN
हमेशा सही के साथ खड़े रहें,
हमेशा सही के साथ खड़े रहें,
नेताम आर सी
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
माँ सरस्वती
माँ सरस्वती
Mamta Rani
Loading...