कम कीमत लग गयी हमारी
कम कीमत लग गयी हमारी
यह संसार बना बाजार
किसी के संपने बीत रहे है
किसी के हो गये साकार
कोई तुलना की लोगो से
हमको कह देते बेकार
मोल हमारा कौन किया है
जिसकी कीमत नही हजार
तुला स्वार्थ की लोभी वणिक है
पत्थर से तौला हर बार
नही सही पैमाना जाना
सही नही पैमाना भार
किसी शर्त पर खरे उतरते
तब मापक का सच आधार
नही जानते तुलना करना
मापन सच हो किससे हरबार
नही बना पैमाना अबतक
जान सके मेरा व्यवहार
कोशिश करके मान चुका
सारी कोशिश हो गयी बेकार
विन्ध्यप्रकाश मिश्र नरई
संग्रामगढ प्रतापगढ