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12 May 2017 · 1 min read

कभी जागीर लगती है……………. “मनोज कुमार”

कभी शोला, कभी शबनम, कभी तू आग लगती है
कभी जन्नत, परी कोई, कभी आफ़ताब लगती है
कभी मेरी है तू लैला, कभी तू हीर है शीरी
कभी दिल की तड़प मेरी, कभी जागीर लगती है

“मनोज कुमार”

Language: Hindi
302 Views
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