कब तलक बोल सनम सूनी ये क्यारी होगी
मेरी मां सारे जमाने से भी प्यारी होगी
जिंदगी जिसने हमारी ये संवारी होगी
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आया है जो भी यहां उसको है जाना इक दिन
जा रहा आज मैं कल तेरी भी बारी होगी
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भूल कर दिल को लगाना न हसीनों से तुम
होती है दिल में दगा आंखों में कटारी होगी
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इश्क जिसने भी किया आज समझ लो यारों
चोट दिल पर तो लगी उसको करारी होगी
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देखते खाब है बरसों से तुम्हारे दिलबर
उनकी ताबीर भी तुझ पर ही उधारी होगी
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नाम उसका ही अमर आज हुआ है जिसने
उम्र खिदमत में वतन के ही गुजारी होगी
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फूल तितली हैं मगर तू ही नहीं है “प्रीतम”
कब तलक बोल सनम सूनी ये क्यारी होगी
??
प्रीतम राठौर
श्रावस्ती (उ०प्र०)