कफ़न
चमन खिला रहा हुं,
बहारों में अमन खिला रहा हुं.
कोई मुद्दत नहीं मेरी महबूब .
मैं तो कफन सिला रहा हुं.
गौर करना मुझको वतन.
तेरे सजदे मे जान लुट रहा हुं.
चमन खिला रहा हुं.
बहारों में अमन खिला रहा हुं.
रह गई कोई ख्वाहिश मेरे ख्वाजा.
हिम के तुफानो में देशभक्ति जला रहा हुं.
मर जाऊँ अगर तो गम नहीं .
जिंदगी का यू तो नही मोल कोई.
तेरे सजदे में जान लुटा रहा हुं.