** कचड़ा **
फेक कर कचड़े की थैली
सड़क बर्बाद करते हो
धरोहर राष्ट्र के हो तुम
नाम बदनाम करते हो।
कभी सरकार को कोसो
कभी मंत्री को दो गाली
चुनावी मौसम जब आता
पौवे की मांग करते हो।
तुम्हें न राष्ट्र की चिंता
चीता सम शक्ल है तेरा
अक्ल से अंधे दिखते हो
वक्त बर्बाद करते हो।
भला हो राष्ट्र का जिससे
कहाँ वो काम करते हो
भलाई जिससे हो तेरा
वहीं तुम मांग करते हो।
नमन है उन सहिदों को
हुये जो राष्ट्र पे कुर्बान
वहीं तुम कार्य उल्टे कर
उन्हें शर्मसार करते हो।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”