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1 May 2017 · 1 min read

और क्या

गज़ल

है वफा यार इसके सिवा और क्या
दूर तू है मगर ना जुदा और क्या

हर घड़ी याद बन कर रहे साथ मे
प्यार इसके सिवा है भला और क्या

गुफ्तगू ना सही हम मगर साथ हैं
दिल भला मांगता है बता और क्या

था परेशां जिगर याद आती रही
दिल न माना बताऊँ सिवा और क्या

इक झलक देख कर चैन आया जरा
गर न मानू खुदा तो बता और क्या

मन्जिलों की नही है कभी आरजू
राह भी ना मिले तो मिले और क्या

याद आऊँ सदा खुशबुओं की तरह
राह कोई दिखा तू फकत और क्या

प्रदीप भट्ट

1 Comment · 385 Views
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