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31 Oct 2016 · 1 min read

ऐ ! तिमिर

दूर हो जा ऐ ! तिमिर,
देख मैने दीप सजाये,
झिलमिल रोशनी ने,
तेरे अरमान हैं मिटाये |
बातियों सी हूँ जली मैं ,
नीर को बना तेल मैं ,
जाने कितनी बार देखो ,
दीये को भरती ही रही |
तुम हो अकेले ऐ ! तिमिर,
किंतु मैं हूँ संग दीये के,
आज है दीप्त हर कोना,
और उल्लसित हर मन|
भागना ही होगा तुम्हे ,
आज मुँह छुपा कर ,
रोशनी की भींड से,
दूर हो जा ऐ ! तिमिर||

…निधि…

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 470 Views
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