एक पथ और
आओ चले एक पथ और
छोड़ पदचिन्ह एक छोर !
नई उमंग ह्रदय धरे भोर
कनखियों में ख़ुशी का शोर !
आओ चले एक पथ और !!
चलना ही जीवन की नियति है
चलो अपने मंजिल पथ कि और ।
मिट जायेगा दुःख का अंधियारा
खिल उठेगी सफलता की भोर ।।
!
!
डी के निवातिया ____!!!