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17 Aug 2017 · 1 min read

एक दीपक ही अंधेरा निगल जायेगा

बचकर चलते रहो ठोकरें देखकर
जमाना कभी तो बदल जायेगा
कांटे कितने पडे बडी बाधा बने
फिर तो कांटे से कांटा निकल जायेगा
ये अंधेरा घना जानपर आ बना
एक दीपक अंधेरा निगल जायेगा
एक आशा करो राहपर आ चलो
हर पहेली का हल भी निकल आयेगा
विन्ध्य सा बन खिलो नव प्रकाशित करो
वरना अंधेरे का जादू चल जायेगा
विन्ध्यप्रकाश मिश्र
प्रतापगढ उ प्र
९१९८९८९८३१

Language: Hindi
327 Views
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