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9 Oct 2017 · 1 min read

एकता

एकता प्रतीक जल कोमल स्वभाव होत,
नदियां तड़ाग नद झील मिल जात ज्यों.
बूंद बूंद भिन्न तो तरंग व उमंग नाहि,
बूंद से पिपासु की पिपास न बुझात ज्यों
मौतिक समान भले सुसंग बिन्दु,
तप्त तत्व संगति से शून्य बन जात ज्यों
धारा की गंभीरता से विद्युत सृजन होत,
एकता की शक्ति ज्योति पुञ्ज बन जात यों
पं विश्वनाथ मिश्र
नरई संग्रामगढ़ प्रतापगढ़
मो० ९००५९०५९५९

Language: Hindi
1 Like · 324 Views
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