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27 Apr 2017 · 1 min read

उल्लास

इशारों से वो कौन खींच रहा क्षितिज की ओर मेरा मन!

पलक्षिण नृत्य कर रहा आज जीवन,
बज उठे नव ताल बज उठा प्राणों का कंपन,
थिरक रहे कण-कण थिरक रहा धड़कन,
वो कौन बिखेर गया उल्लास इस मन के आंगन!

नयनों से वो कौन भर लाया मधुकण आज इस उपवन!

पल्लव की खुशबु से बौराया है चितवन,
मधुकण थोड़ी सी पी गया मेरा भी यह जीवन,
झंकृत हुआ झूमकर सुबासित सा मधुबन,
जीर्ण कण उल्लासित चहुंदिस हँसता उपवन!

इशारों से वो कौन खींच रहा क्षितिज की ओर मेरा मन!

Language: Hindi
706 Views
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