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23 Sep 2017 · 1 min read

उम्मीदों के पुल

देर से ही सही
आ गया हूं उन राहों मे
जहां मिलने लगा है सकून
जिन्दगी के चलते सफर मे ।

मौसम के बिना ही
फूल खिलने लगे हैं शाखाओं मे
उठने लगी हैं चिंगारियां
बुझती हुई मशालों मे ।

हल्के उजाले ही सही
उम्मीदों के पुल बने हैं अंधेरी रातों मे
दिल के ख्वाब पुराने ही सही
दस्तक देने लगे हैं फिर आंखों मे ।

बिजली दूर से ही सही
चमकने लगी है बादलों मे
पलट रही है तकदीर की बाजी
जिन्दगी की बदलती हुई चालों मे ।।

राज विग

Language: Hindi
275 Views
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