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6 Oct 2016 · 1 min read

उत्तराखंड त्रासदी २०१६ पर मुक्तक:

दिनांक ०२-०७-२०१६

आपदा का हो प्रबंधन, यदि उचित सरकार से,
राहतें फ़ौरन मिलें औ दर्द कम हो प्यार से.
साधनों की है कमी पर हौसले तो कम नहीं,
जिंदगी को खोज लेगें मौत के भी द्वार से..

आपदा के हो जनक इन चोटियों से मत सटो.
संतुलित होकर रहो घन या पहाड़ों से हटो.
सूखती धरती जहाँ पर जल बिना जीवन जले,
बादलों आदेश शिव का अब वहीं जाकर फटो..

–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
_____________________________________

दिनांक:०५-०८-२०१६
भगवान् भोलेनाथ के आदेश से उपरोक्त बादल पानी से तरसते हुए बुंदेलखंड व बिहार में जा फटे!

धन्यवाद मुक्तक:
(भगवान् भोलेनाथ के प्रति हार्दिक धन्यवाद)

आपदा जब शीश पर तब, हम रहे थे सिर खपा.
आ फटे बादल अचानक, नाम शिवजी का जपा.
जा फटे वे उस जगह जो, थी तरसती बूँद को,
धन्य गोपीनाथ शंकर, की बहुत हम पर कृपा..

विनयावनत,
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

Language: Hindi
468 Views
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