Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2017 · 2 min read

उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद लड़कियों को नौकरी करनी चाहिए या नहीं और क्यों

उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद लड़कियों को नौकरी करनी चाहिए या नहीं और क्योंउच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद लड़कियों को नौकरी करनी चाहिए या नहीं और क्यों

उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद लड़कियों का नौकरी करना जरूरी है और लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करनी चाहिए क्योंकि इससे वे स्वावलंबी बनेंगी, आत्मनिर्भर बनेंगी और उन्हें उनके कार्यक्षेत्र पर उन्हें अपने कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्राप्त होगा, उन्हें वहाँ अपने विचारों को प्रस्तुत करने का और अन्य व्यक्तियों के दृष्टिकोण को समझने का अवसर मिलेगा । यदि लड़कियाँ नौकरी करती हैं तो अपने अधिकारों के लिए जागरूक होंगी और अपने व अन्य स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा कर सकेंगी और यदि वे नौकरी करती हैं तो ये उन व्यक्तियों पर तमाचा होगा जो रूढ़िवादी मान्यताओं के कारण स्त्रियों को अबला, और पुरूषों के समक्ष तुच्छ समझते हैं ।
लड़कियों का नौकरी करना उनकी स्वतंत्रता, और पुरुषों से समानता को दर्शाएगा । भारतवर्ष में नारी शक्ति, मातृ शक्ति का अत्यधिक महत्व है , कितनी ही वीरांगनाओं ने पुरूषों से बढ़कर कार्य किए हैं, रानी लक्ष्मीबाई के समक्ष कितने ही फिरंगियों ने दाँतों तले उंगली दबा ली और घुटने टेक दिए; तो इतिहास गवाह है जब- जब नारी शक्ति ने नेतृत्व किया है और कार्यक्षेत्र या रणक्षेत्र पर अपना कौशल दिखाया तो अखिल विश्व को अचंभित कर दिया । कल्पना चावला जो कि प्रथम भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री थीं, किरण बेदी जो कि भारत में प्रथम महिला आई.पी.एस. थीं, प्रतिभा पाटिल जो कि भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति थीं और श्रीमती इंदिरा गांधी जो कि भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं आदि ऐसी अनेकानेक महिलाएँ हैं जिन्होंने अपने कार्य के प्रति समर्पित होकर, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर, उच्च पदों को प्राप्त कर , ईमानदारी व लगन से अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है । तो हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि यदि लड़कियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करतीं हैं तो ये देश और समाज के लिए गौरव की बात होगी और इससे देश की परिस्थितियाँ सुदृढ़ होंगी व अर्थव्यवस्था भी उन्नत होगी ।
लड़कियों के नौकरी करने के उपरांत उनका घरेलू कार्य भी प्रभावित नहीं होगा क्योंकि विनम्रता, लज्जालुता उनके स्वाभाविक गुण हैं; वे त्याग की मूर्ति होती हैं इन्हीं गुणों के कारण वे ऐसा तालमेल बैठा सकती हैं कि उनके नौकरी करने से ना तो घरेलू कार्य प्रभावित हों ना ही कार्यक्षेत्र के कार्य । मेरे इन विचारों के आधार पर मैं इस बात का समर्थन करता हूँ कि लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करना चाहिए और सभ्य समाज को भी उनका सहयोग और समर्थन करना चाहिए ।

– नवीन कुमार जैन

Language: Hindi
Tag: लेख
614 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परफेक्ट बनने के लिए सबसे पहले खुद में झांकना पड़ता है, स्वयं
परफेक्ट बनने के लिए सबसे पहले खुद में झांकना पड़ता है, स्वयं
Seema gupta,Alwar
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बहारों कि बरखा
बहारों कि बरखा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Maine anshan jari rakha
Maine anshan jari rakha
Sakshi Tripathi
हम सब में एक बात है
हम सब में एक बात है
Yash mehra
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
.........???
.........???
शेखर सिंह
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
शोख लड़की
शोख लड़की
Ghanshyam Poddar
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
Shekhar Chandra Mitra
सगीर गजल
सगीर गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आस्था और चुनौती
आस्था और चुनौती
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*जिंदगी  जीने  का नाम है*
*जिंदगी जीने का नाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-484💐
💐प्रेम कौतुक-484💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
इसलिए कुछ कह नहीं सका मैं उससे
इसलिए कुछ कह नहीं सका मैं उससे
gurudeenverma198
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
"नेशनल कैरेक्टर"
Dr. Kishan tandon kranti
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
*खींचो अपने हाथ से, अपनी नई लकीर (नौ दोहे)*
*खींचो अपने हाथ से, अपनी नई लकीर (नौ दोहे)*
Ravi Prakash
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
Dhriti Mishra
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
Taj Mohammad
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
लड़का हो या लड़की ये दोनो एक किताब की तरह है ये अपने जीवन का
लड़का हो या लड़की ये दोनो एक किताब की तरह है ये अपने जीवन का
पूर्वार्थ
हमारा सफ़र
हमारा सफ़र
Manju sagar
Loading...