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10 Apr 2017 · 1 min read

इस शहर में क़याम बाकी है

इस शहर में क़याम बाकी है
कुछ अधूरा सा काम बाकी है

गुफ़्तगू सबसे हो गयी मेरी
सिर्फ उनका सलाम बाकी है

इक शजर पे बहार आयी है
दिल का सहरा तमाम बाकी है

आज वो बेनक़ाब आएंगे
हाय ये क़त्ले आम बाकी है

झूठ का सच से सामना होगा
इश्क़ में वो मकाम बाकी है

बेवफा पे हिजाब रखना है
यूँ वफ़ा का कलाम बाकी है

यूँ न उठने की ज़िद करो अब तुम
रात बाकी है जाम बाकी है

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