Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2017 · 1 min read

**= इतिहास दोहराएगा=**

जिन्होंने तुझे बनाया, तराशा,निखारा,
तूने कर लिया उनसे किनारा।
उनके बनाए आशियाने में तूने कैसे डाला खलल,
उन्हें किया है पुराने सामान की तरह बेदखल।
आगे आगे देखना तू बदले वक्त की रज़ा।
देगा वह तुझे कभी न कभी,
इस से भी ज्यादा कड़ी सजा।
तुझे इससे भी तीक्ष्ण निगाहों से देखा जाएगा,
जब इतिहास अपने आप को दोहराएगा।
वो दर्द तब तुझसे न झेला जाएगा।

——रंजना माथुर दिनांक 26/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना )
©

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 515 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
Arvind trivedi
*टैगोर काव्य गोष्ठी* भारत जिंदाबाद लोकार्पण
*टैगोर काव्य गोष्ठी* भारत जिंदाबाद लोकार्पण
Ravi Prakash
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिनमें कोई बात होती है ना
जिनमें कोई बात होती है ना
Ranjeet kumar patre
23/44.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/44.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
मैं चाँद पर गया
मैं चाँद पर गया
Satish Srijan
आईना...
आईना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
लाज-लेहाज
लाज-लेहाज
Anil Jha
अनवरत....
अनवरत....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
manisha
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ
gurudeenverma198
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
DrLakshman Jha Parimal
मन मस्तिष्क और तन को कुछ समय आराम देने के लिए उचित समय आ गया
मन मस्तिष्क और तन को कुछ समय आराम देने के लिए उचित समय आ गया
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बुद्ध या विनाश
बुद्ध या विनाश
Shekhar Chandra Mitra
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
हो गया
हो गया
sushil sarna
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
पंचांग के मुताबिक हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोद
पंचांग के मुताबिक हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोद
Shashi kala vyas
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
सच अति महत्वपूर्ण यह,
सच अति महत्वपूर्ण यह,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत  माँगे ।
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे ।
Neelam Sharma
यें हक़ीक़त थी मेरे ख़्वाबों की
यें हक़ीक़त थी मेरे ख़्वाबों की
Dr fauzia Naseem shad
💐उनकी नज़र से दोस्ती कर ली💐
💐उनकी नज़र से दोस्ती कर ली💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...