Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2016 · 1 min read

इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये

इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये
ले जा के तूर पर सर हवाओं के फोड़े गये

आने लगे थे ख़्वाब कुछ हाये दिल से उठकर
मानिंद गीले कपड़े के आँख से निचोड़े गये

बता कौन निभाता है खून के भी रिश्ते यहाँ
हां वो भी आख़िर टूटे जो दिल से जोड़े गये

कुछ इस तरह रहा तमाम उम्र का हिसाब मेरा
कुछ गये संजीदगी में दिल्लगी में थोड़े गये

हुआ दिल के पार कोई कोई जिगर के पार था
किस किस की जबां के तरकश से तीर छोड़े गये

मुद्दत बाद सोया है गहरी नींदों में कोई
यूँ लगता है उसके बेचे सारे घोड़े गये

जिन्हें याद ही न हुआ सबक़ मोहब्बत का यहां
वो दरबार-ए-ज़ीस्त में ‘सरु’ खाते कोड़े गये

462 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
Shweta Soni
If.. I Will Become Careless,
If.. I Will Become Careless,
Ravi Betulwala
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रिश्ते दिलों के अक्सर इसीलिए
रिश्ते दिलों के अक्सर इसीलिए
Amit Pandey
पल भर में बदल जाए
पल भर में बदल जाए
Dr fauzia Naseem shad
चालवाजी से तो अच्छा है
चालवाजी से तो अच्छा है
Satish Srijan
3167.*पूर्णिका*
3167.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"चाणक्य"
*Author प्रणय प्रभात*
" भुला दिया उस तस्वीर को "
Aarti sirsat
कविता
कविता
Rambali Mishra
"कुछ रास्ते"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी जान ही मेरी जान ले रही है
मेरी जान ही मेरी जान ले रही है
Hitanshu singh
उस वक़्त मैं
उस वक़्त मैं
gurudeenverma198
शेष
शेष
Dr.Priya Soni Khare
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
surenderpal vaidya
कारगिल दिवस पर
कारगिल दिवस पर
Harminder Kaur
"ज्यादा मिठास शक के घेरे में आती है
Priya princess panwar
क़यामत
क़यामत
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
प्रीति
प्रीति
Mahesh Tiwari 'Ayan'
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
Seema gupta,Alwar
*छलने को तैयार है, छलिया यह संसार (कुंडलिया)*
*छलने को तैयार है, छलिया यह संसार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन पवित्र उत्सव का उरतल की गहराइ
आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन पवित्र उत्सव का उरतल की गहराइ
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
वे वजह हम ने तमीज सीखी .
वे वजह हम ने तमीज सीखी .
Sandeep Mishra
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr Shweta sood
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
Maroof aalam
💐प्रेम कौतुक-507💐
💐प्रेम कौतुक-507💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कोरोना और मां की ममता (व्यंग्य)
कोरोना और मां की ममता (व्यंग्य)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...