Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2016 · 3 min read

आ गया राखी का पर्ब

राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में राखी की परम्परा काफी पुरानी है . बदले दौर में जब सभी मूल्यों का हास हो रहा हो तो भला राखी का त्यौहार इससे अछुता कैसे रह सकता है। मुझे अभी भी याद है जब मैं छोटा था और राखी के दिन ना जाने कहाँ से साल भर ना दिखने बाली तथाकथित मुहबोली बहनें अबतरित हो जातीं थी एक मिठाई का पीस और राखी देकर मेरे माँ बाबु से जबरदस्ती मनमाने रुपये बसूल कर ले जाती थीं। खैर जैसे जैसे समझ बड़ी बाकि लोगों से राखी बंधबाना बंद कर दी। जब तक घर पर रहा राखी बहनों से बंधबाता रहा ,पैसों का इंतजाम पापा करते थे मिठाई बहनें लाती थीं।अब दूर रहकर राखी बहनें पोस्ट से भेज देती हैं कभी कभी मिठाई के लिए कुछ रुपये भी साथ रख देती हैं।यदि अबकाश होता है तो ज़रा अच्छे से मना लेते है। पोस्ट ऑफिस जाकर पैसों को भेजने की ब्यबस्था करके ही अपने कर्तब्यों की इतिश्री कर लेते हैं। राखी को छोड़कर पूरे साल मुझे याद भी रहता है की मेरी बहनें कैसी है या उनको भी मेरी कुछ खबर रखने की इच्छा रहती है ,कहना बहुत मुश्किल है . ये हालत कैसे बने या इसका जिम्मेदार कौन है काफी मगज मारी करने पर भी कोई एक राय बनती नहीं दीखती . कभी लगता है ये समय का असर है कभी लगता है सभी अपने अपने दायरों में कैद होकर रह गए हैं। पैसे की कमी , इच्छाशक्ति में कमी , आरामतलबी की आदत और प्रतिदिन के सँघर्ष ने रिश्तों को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
अपना अपना राग लिए सब अपने अपने घेरे में
हर इंसान की एक कहानी सबकी ऐसे गुजर गयी

उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है
समय बदला, जगह बदली क्यों रिश्तें आज बदले हैं

पर्व और त्यौहारों के देश कहे जाने वाले अपने देश में कई ऐसे त्यौहार हैं लेकिन इन सभी में राखी एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूत और सौहार्दपूर्ण बनाए रखने का एक बेहतरीन जरिया सिद्ध हुआ है। राखी को बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसकी लंबे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं वहीं भाई ताउम्र अपनी बहन की रक्षा करने और हर दुख में उसकी सहायता करने का वचन देते हैं।

अब जब पारिवारिक रिश्तों का स्वरूप भी अब बदलता जा रहा है भाई-बहन को ही ले लीजिए, दोनों में झगड़ा ही अधिक होता है और वे एक-दूसरे की तकलीफों को समझते कम हैं ।आज वे अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते ज्यादा मिलते है लेकिन जब भाई को अपनी बहन की या बहन को अपनी भाई की जरूरत होती है तो वह मौजूद रहें ऐसी सम्भाबना कम होती जा रही है.

सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक जरूरतों के कारण आज बहुत से भाई अपनी बहन के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते ऐसे में रक्षाबंधन का दिन उन्हें फिर से एक बाद निकट लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। लेकिन बढ़तीं महंगाई , रिश्तों के खोखलेपन और समय की कमी की बजह से बहुत कम भाई ही अपनी बहन के पास राखी बँधबाने जा पाते हों . सभी रिश्तों की तरह भाई बहन का रिश्ता भी पहले जैसा नहीं रहा लेकिन राखी का पर्ब हम सबको सोचने के लिए मजबूर तो करता ही है कि सिर्फ उपहार और पैसों से किसी भी रिश्तें में जान नहीं डाली जा सकती। राखी के परब के माध्यम से भाई बहनों को एक दुसरे की जरूरतों को समझना होगा और एक दुसरे की दशा को समझते हुए उनकी भाबनाओं की क़द्र करके राखी की महत्ता को पहचानना होगा। अंत में मैं अपनी बात इन शब्दों से ख़त्म करना चाहूगां .

आ गया राखी का पर्ब

मदन मोहन सक्सेना

Language: Hindi
Tag: लेख
472 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गुरु
गुरु
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जोशी मठ
जोशी मठ
Shekhar Chandra Mitra
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
Ranjeet kumar patre
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
कवि दीपक बवेजा
अपने कार्यों में अगर आप बार बार असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका
अपने कार्यों में अगर आप बार बार असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका
Paras Nath Jha
ज्योतिर्मय
ज्योतिर्मय
Pratibha Pandey
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
■ लघुकथा / बस दो शब्द
■ लघुकथा / बस दो शब्द
*Author प्रणय प्रभात*
आप की असफलता में पहले आ शब्द लगा हुआ है जिसका विस्तृत अर्थ ह
आप की असफलता में पहले आ शब्द लगा हुआ है जिसका विस्तृत अर्थ ह
Rj Anand Prajapati
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
*पुरस्कार का पात्र वही, जिसका संघर्ष नवल हो (मुक्तक)*
*पुरस्कार का पात्र वही, जिसका संघर्ष नवल हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
* प्यार के शब्द *
* प्यार के शब्द *
surenderpal vaidya
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे दिवानों के का
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे दिवानों के का
Sonu sugandh
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद  हमेशा रहे।
बेशक प्यार तुमसे था, है ,और शायद हमेशा रहे।
Vishal babu (vishu)
गांधीजी का भारत
गांधीजी का भारत
विजय कुमार अग्रवाल
ये आँखे हट नही रही तेरे दीदार से, पता नही
ये आँखे हट नही रही तेरे दीदार से, पता नही
Tarun Garg
दूसरों के अनुभव से लाभ उठाना भी एक अनुभव है। इसमें सत्साहित्
दूसरों के अनुभव से लाभ उठाना भी एक अनुभव है। इसमें सत्साहित्
Dr. Pradeep Kumar Sharma
પૃથ્વી
પૃથ્વી
Otteri Selvakumar
तुम हारिये ना हिम्मत
तुम हारिये ना हिम्मत
gurudeenverma198
उस जमाने को बीते जमाने हुए
उस जमाने को बीते जमाने हुए
Gouri tiwari
हिसाब रखियेगा जनाब,
हिसाब रखियेगा जनाब,
Buddha Prakash
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
" मँगलमय नव-वर्ष-2024 "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...