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9 Aug 2017 · 1 min read

*** आफ़ताब कहूं या चाँद तुम्हें ***

9.8.17 **दोपहर** 1.16

आफ़ताब कहूं या चाँद तुम्हें

नजरे करम करना मुझपे

नूरानी चेहरा तेरा ना जाने

उसपे किसका पहरा गहरा

आफ़ताब कहूं या चाँद तुम्हें

नजरें इनायत करना मुझपे

कहूं आफ़ताब मैं तुझको तो

पास तेरे कैसे मैं आऊं

तपिस दिल की बुझाने

फिर कहां मैं कैसे जाऊं

तेरे मुखड़े को अगर

चाँद का टुकड़ा कहूं

पूरण चाँद किसको कहूं

तुम हो पूर्णमासी का चाँद

तुझको मैं आधा कैसे कहूँ

प्यार ना आधा हो हमारा

मैं तुझको पूनम-चाँद कहूं

आफ़ताब कहूं या चाँद तुम्हें

नूर जो झलके तेरी आंखों में

उसका कैसे शुक्रिया अदा करूं

तुझ बिन जले हिया पिया मेरा

शीतल छाती अब कैसे करूँ

आफ़ताब कहूं या चाँद तुम्हें

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 262 Views
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